कोलकाता : आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं के मामले में गिरफ्तार वेंडर बिप्लब सिन्हा ने ठेके हासिल करने के लिए कई कंपनियों की स्थापना की थी। ये ठेके मेडिकल और गैर-मेडिकल सामग्री की आपूर्ति और अस्पताल में रखरखाव से संबंधित कार्य आदेशों के लिए थे। इस घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी है।
बिप्लब सिन्हा पहले से ही केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की हिरासत में है, जो प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के साथ मिलकर इस मामले की जांच कर रही है। ईडी ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल की जांच शुरू की है और एक प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज की है। ईडी ने तीन ऐसी कंपनियों का पता लगाया है, जो सिन्हा द्वारा बनाई और संचालित की गई थीं, और ये सभी आरजी कर प्राधिकरण द्वारा जारी निविदाओं में नियमित रूप से भाग लेती थीं।
सूत्रों के मुताबिक, इन कंपनियों के कागजी दस्तावेज बताते हैं कि निविदा बोली लगाते समय इनका बहुत ही प्रभावी ढंग से उपयोग किया गया था, जहां ये तीन अलग-अलग बोली कीमतों को उद्धृत करती थीं (कम से लेकर उच्च तक) ताकि सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी को निविदा मिल सके।
सूत्रों के अनुसार, ये तीन कंपनियां ‘मां तारा ट्रेडर्स’, ‘बाबा लोकनाथ एंटरप्राइजेज’ और ‘तियाशा एंटरप्राइजेज’ हैं। इनमें से पहली कंपनी मुख्य रूप से सबसे कम बोली मूल्य का हवाला देकर इन ठेकों को हासिल करती थी, जबकि अन्य दो केवल उच्च बोली मूल्य देने के लिए कागज पर बनाई गई थीं।
सीबीआई ने पहले ही कोलकाता की एक विशेष अदालत में दावा किया है कि सिन्हा और दूसरे गिरफ्तार वेंडर सुमन हाजरा, दोनों ही आरजी कर के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के करीबी सहयोगी थे, जो फिलहाल सीबीआई की हिरासत में हैं।
शुक्रवार को ईडी अधिकारियों ने मामले से संबंधित विभिन्न स्थानों पर छापेमारी और तलाशी अभियान चलाया, जिसमें सिन्हा के आवास भी शामिल था। यहां से जांच अधिकारियों ने उनके स्वामित्व वाली इन तीन व्यावसायिक संस्थाओं से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए।
ईडी अधिकारी संदीप घोष द्वारा जमा की गई अनुपातहीन संपत्तियों की भी जांच कर रहे हैं। जहां सीबीआई ने कलकत्ता हाई कोर्ट की एकल-न्यायाधीश पीठ के आदेश के बाद मामले की जांच का जिम्मा संभाला, वहीं ईडी ने स्वप्रेरणा से इस मामले में प्रवेश किया और ईसीआईआर दर्ज की।