कोलकाता : बुधवार दोपहर को आसनसोल दक्षिण से भाजपा विधायक अग्निमित्रा पाल जब स्वास्थ्य भवन परिसर में पहुंचीं, तो वहां पर मौजूद जूनियर डॉक्टरों ने उनके खिलाफ ‘गो बैक’ के नारे लगाए। इस घटनाक्रम से वहां स्थिति काफी तनावपूर्ण हो गई। हालांकि, अग्निमित्रा ने स्पष्ट किया कि वह जूनियर डॉक्टरों के आंदोलन में राजनीति का रंग देने नहीं आई थीं, बल्कि वह पार्टी कार्यालय के काम से वहां गई थीं। डॉक्टरों के इस तरह के बर्ताव की वजह से आम लोगों में नाराजगी भी बढ़ रही है। डॉक्टरों के समर्थन में सामाजिक संगठन और राजनीतिक दल भी अपने आप तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन राजनीतिक दलों के जन प्रतिनिधियों को देखकर उनकी इस तरह की नारेबाजी छठी बार हुई है।
जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं की जातीं, उनका धरना जारी रहेगा। बुधवार दोपहर 12 बजे के बाद भी स्वास्थ्य भवन के बाहर बैठे जूनियर डॉक्टर अपनी मांगों पर अड़े रहे। उनका कहना है कि बिना मांगे पूरी किए वे अपनी जगह से नहीं हटेंगे।
मंगलवार को राज्य के स्वास्थ्य सचिव नारायणस्वरूप निगम ने आंदोलनकारी डॉक्टरों को एक ईमेल भेजकर चर्चा के लिए आमंत्रित किया था। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नवान्न में उनके साथ बैठक करना चाहती हैं, लेकिन आंदोलनकारियों को ईमेल की भाषा पर आपत्ति थी।
डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें बातचीत के लिए 10 प्रतिनिधियों के साथ बुलाया गया है, लेकिन वे चाहते हैं कि कम से कम 25 लोगों को जाने की अनुमति दी जाए। हालांकि, उन्होंने यह भी साफ किया कि बातचीत का मतलब यह नहीं है कि धरना समाप्त हो जाएगा। सरकार उनकी मांगों पर क्या कदम उठाती है, इसे देखने के बाद ही वे अगला कदम उठाएंगे।
आंदोलनकारियों का समर्थन आम लोगों से भी मिल रहा है। दक्षिण कोलकाता के एक स्कूल के अभिभावक जूनियर डॉक्टरों के लिए भोजन की व्यवस्था लेकर आए और आंदोलनकारियों को खाना वितरित किया। स्वास्थ्य भवन के बाहर आंदोलनकारियों के लिए बायो टॉयलेट की भी व्यवस्था की गई है। आंदोलनकारी डॉक्टरों ने कहा है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाएंगी, वे अपने स्थान से नहीं हटेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने भी जूनियर डॉक्टरों से काम पर लौटने का आग्रह किया था। हालांकि डॉक्टर नहीं माने।