बोलियों से समृद्ध होता है हिंदी का रोजगारपरक स्वरूप : डॉ. कमलेश

कोलकाता : “निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल” के मूल मंतव्य के साथ हिंदी भाषा के प्रचार–प्रसार एवं बोलियों को समृद्ध करने तथा रोजगारपरक बनाने की जरूरत है – ये उद्गार सेंट पॉल्स कैथेड्रल मिशन कॉलेज के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. कमलेश कुमार पांडेय ने सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय द्वारा आयोजित ‘हिंदी दिवस समारोह’ में बतौर अध्यक्ष व्यक्त किये।

विशिष्ट वक्ता सत्यजीत रे फिल्म और टेलीविजन संस्थान के राजभाषा सलाहकार सत्यप्रकाश दुबे ने कहा कि संविधान में 22 भाषाओं को सम्मिलित किया गया है उसी में से हिंदी को राजभाषा के रूप में। केवल हिंदी दिवस मनाकर अपनी भाषा का सम्मान नहीं कर सकते बल्कि सामासिक संस्कृति को बचाने के लिए भारतीय भाषा दिवस का उत्सव मनाने की जरूरत है, इससे भाषाई एकता को बल मिलेगा।

अपने वक्तव्य में विद्यासागर कॉलेज की प्राध्यापिका डॉ. सुलेखा कुमारी ने कहा कि भारत में सर्वाधिक हिंदी का प्रयोग मातृभाषा और द्वितीय या तृतीय भाषा के रूप में किया जाता है, जो मुख्यतः दस राज्यों में प्रसारित है। कुल जनसंख्या के केवल 9% लोग सरकारी नौकरी करते हैं और उनमें सबसे अधिक नौकरियां उत्तर प्रदेश में सृजित हैं। खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज की प्राध्यापिका डॉ. मधु सिंह ने बताया कि आज दृश्य, श्रव्य और पाठ्य रूप में हिंदी भाषा उपस्थित हो रही है। बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने उत्पाद की बिक्री के लिए जन सामान्य तक सुलभ करवाने के लिए विज्ञापन का प्रयोग कर रही हैं, जिसकी भाषा के रूप में हिंदी के साथ विभिन्न बोलियों के शब्दों तथा मुहावरों का भी प्रयोग धड़ल्ले से किए जा रहा है।

सेठ आनंदराम जयपुरिया कॉलेज के प्राध्यापक आदित्य कुमार गिरि ने कहा कि आज भाषा के साथ कई बोलियां खतरे में हैं। कोलकाता महानगर में हिंदी के विकास के लिए जो हिंदी प्रेमी पूंजीपतियों द्वारा प्रयास किए गए हैं वह सराहनीय है। सेठ सूरजमल जालान बालिका विद्यालय की 12वीं कक्षा की छात्रा परी सिंह ने हिंदी दिवस के प्रति अपनी अभिव्यक्ति में निराला और प्रसाद के जीवन से उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि हिंदी हमारी पहचान है जो विश्व के 176 विश्वविद्यालयों से अधिक में विषय के रूप में पढ़ायी जाती है।

समारोह का शुभारम्भ कामायनी संजय द्वारा स्वरचित सरस्वती वंदना से हुआ। अतिथियों का स्वागत सागरमल गुप्त, रामपुकर सिंह, श्रीमोहन तिवारी, डॉ. बृजेश सिंह, डॉ. रामप्रवेश रजक, भागीरथ सारस्वत एवं परमजीत कुमार पंडित ने किया। पुस्तकालय की मंत्री श्रीमती दुर्गा व्यास ने स्वागत भाषण दिया। डॉ. कमल कुमार ने समारोह का कुशल संचालन किया तथा पुस्तकालय के पूर्व मंत्री सागरमल गुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापित किया। समारोह में राज्यवर्द्धन, मृत्युंजय श्रीवास्तव, मनोज मिश्र, चंद्रिका प्रसाद पाण्डेय ‘अनुरागी’, सर्वदेव तिवारी, रजविंदर कौर, डॉ. संजय जायसवाल, डॉ. आर. एस. मिश्र, राजेंद्र ओझा, वीरेंद्र यादव, पद्माकर व्यास, संगीता व्यास, जीवन सिंह, वी. अरुणा, प्रीतम रजक, पूजा प्रसाद के साथ–साथ महानगर के प्रतिष्ठित साहित्यकार और विभिन्न महाविद्यालयों, विद्यालयों के प्राध्यापक, शोधार्थी, विद्यार्थी की महत्वपूर्ण उपस्थिति रही।

कार्यक्रम को सफल बनाने में दिनेश शर्मा, विवेक तिवारी, धीरज कुमार आदि की सक्रिय भूमिका रही।

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