कोलकाता : आरजी कर कांड के खिलाफ आंदोलन करने वाले जूनियर डॉक्टर एक बार फिर पश्चिम बंगाल सरकार से दो-दो हाथ करने के मूड में लग रहे हैं। अब उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की उपस्थिति में हुई बैठक में किए गए वादे पूरे नहीं होने का आरोप लगाते हुए गुरुवार को पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत को ईमेल भेज कर एक बार फिर आंदोलन की चेतावनी दी है। उन्होंने अपनी सात मांगें भेजते हुए आरोप लगाया है कि प्रशासन ने उनके साथ हुई बैठकों में किए गए वादे पूरे नहीं किए हैं। उन्होंने इस संबंध में तुरंत कार्रवाई की मांग की है।
आरजी कर अस्पताल में हाल ही में हुए विवाद के बाद जूनियर डॉक्टर लगातार सुरक्षा और अच्छे कार्य वातावरण की मांग कर रहे हैं। उनकी सात प्रमुख मांगे हैं:
1. सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों को धमकाने या किसी भी प्रकार के उत्पीड़न के खिलाफ केंद्रीय स्तर पर एक जांच समिति का गठन किया जाए।
2. हर मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस छात्रों और रेजिडेंट डॉक्टरों के लिए एक आंतरिक जांच समिति बनाई जाए।
3. मेडिकल कॉलेजों में छात्र प्रतिनिधियों का चुनाव लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत हो और इसके लिए कॉलेज परिषद की बैठक जल्द से जल्द बुलाई जाए।
4. वेस्ट बंगाल मेडिकल काउंसिल और वेस्ट बंगाल हेल्थ रिक्रूटमेंट बोर्ड के उन सदस्यों के खिलाफ राज्य स्तरीय जांच समिति का गठन हो, जिन पर धमकाने के आरोप हैं। यह जांच समिति अगले सात कार्य दिवसों के भीतर बनाई जाए।
5. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, प्रत्येक मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टरों, सीनियर डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की निगरानी के लिए एक टास्क फोर्स या समिति का गठन किया जाए।
6. कॉलेज परिषद, आंतरिक समिति, रोगी कल्याण समिति और रैगिंग विरोधी समिति को अगले सात कार्य दिवसों में सक्रिय किया जाए। इन समितियों में जूनियर डॉक्टर, सीनियर डॉक्टर, नर्स और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो।
7. ‘वेस्ट बंगाल सर्विस रूल’ के तहत डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए पारदर्शी और उचित स्थानांतरण नीति लागू की जाए।
जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि प्रशासन द्वारा इन मांगों को अनदेखा किया जा रहा है, जिससे अस्पतालों में उनका काम करना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने जल्द से जल्द इन मांगों पर ठोस कदम उठाने की अपील की है।