बंगाल के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की हड़ताल जारी, स्वास्थ्य सेवाएं बाधित

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं लगातार तीसरे दिन प्रभावित रहीं।‌ इसकी वजह है कि जूनियर डॉक्टरों ने रेप और हत्या की शिकार पोस्ट-ग्रेजुएट डॉक्टर के लिए न्याय और अपने कामकाज के दौरान सुरक्षा की मांग को लेकर हड़ताल कर दी है।

यह दूसरी बार है जब बंगाल के सरकारी अस्पतालों में जूनियर डॉक्टरों ने अपनी मांगों को लेकर हड़ताल की है। डॉक्टरों ने यह कदम तब उठाया जब उनकी एक साथी की लाश नौ अगस्त, 2024 को आर.जी. कर अस्पताल में मिली थी। इसके बाद 42 दिनों तक काम बंद रखने के बाद, 21 सितंबर, 2024 को डॉक्टरों ने कुछ जरूरी सेवाओं को फिर से शुरू किया था, जब सरकार ने उनकी ज्यादातर मांगें पूरी करने का वादा किया था।

लेकिन, डॉक्टरों का कहना है कि सरकार ने अब तक अपना वादा नहीं निभाया है, जिसकी वजह से उन्होंने एक अक्टूबर से फिर से हड़ताल शुरू कर दी।

डॉक्टरों का आरोप है कि अब तक सरकार ने उनकी मांगों पर बात करने के लिए उन्हें बुलाया नहीं है। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे डॉक्टर अनिकेत महतो ने कहा कि सरकार ने अभी तक हमारी मांगों पर कोई चर्चा नहीं की है।

इसके अलावा, डॉक्टर अपने साथी की रेप और हत्या के मामले की जांच कर रही सीबीआई की धीमी गति से भी नाराज हैं। उन्होंने दो अक्टूबर को जारी बयान में कहा कि जांच “बहुत धीमी” है और वे इससे “निराश” हैं।

डॉक्टर मृतक के लिए जल्द न्याय की मांग कर रहे हैं, साथ ही राज्य के स्वास्थ्य सचिव को हटाने और अस्पतालों में बेहतर पुलिस सुरक्षा की मांग भी कर रहे हैं। इसके अलावा, वे खाली पड़े डॉक्टर, नर्स और स्वास्थ्यकर्मियों के पदों को जल्द से जल्द भरने और अस्पतालों में डिजिटल बेड ट्रैकिंग सिस्टम लागू करने की मांग कर रहे हैं।

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