कोलकाता : आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के जूनियर डॉक्टर की नृशंस हत्या और बलात्कार की जांच कर रही केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) अब पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और टाला थाना के पूर्व एसएचओ अभिजीत मंडल के मोबाइल फोन से डिलीट किए गए डेटा को पुनः प्राप्त करने की कोशिश कर रही है। जांचकर्ताओं को पक्का सबूत मिला है कि नौ अगस्त को, जब पीड़िता का शव सेमिनार हॉल से बरामद हुआ था, तब घोष और मंडल के बीच हुई बातचीत को जानबूझकर मिटा दिया गया था।
सीबीआई जांचकर्ताओं ने नौ अगस्त को घोष और मंडल के मोबाइल फोन पर डेटा एक्सचेंज के पुख्ता सबूत पाए हैं, जो शव मिलने के दिन हुआ था। लेकिन उस डेटा को जानबूझकर डिलीट कर दिया गया था ताकि संचार की जानकारी को छिपाया जा सके।
जांचकर्ताओं का यह भी कहना है कि वे नौ अगस्त की सुबह से लेकर रात में शव के अंतिम संस्कार तक की फोन कॉल्स की रिकॉर्डिंग को भी पुनः प्राप्त करने की प्रक्रिया में हैं। दोनों के मोबाइल फोन पर “ऑटो-कॉल रिकॉर्डिंग” मोड ऑन था, जिससे सभी बातचीत रिकॉर्ड हो गई थी, लेकिन उन कॉल रिकॉर्डिंग्स को जानबूझकर मिटा दिया गया।
सीबीआई को विश्वास है कि जब इन बातचीत की रिकॉर्डिंग को पुनः प्राप्त कर लिया जाएगा, तो इससे घोष और मंडल के खिलाफ एक मजबूत केस तैयार करने में मदद मिलेगी। घोष और मंडल पर मुख्य आरोप है कि उन्होंने शुरुआती जांच को गुमराह किया और सबूतों के साथ छेड़छाड़ की, जिसके कारण बाद में कलकत्ता हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी।
पिछले हफ्ते, मंडल ने अपने पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए सहमति देने से इनकार कर दिया, जिसके बाद सीबीआई ने कोलकाता की एक विशेष अदालत का दरवाजा खटखटाया। वहीं, घोष ने नार्को-एनालिसिस टेस्ट के लिए सहमति देने से इनकार कर दिया, हालांकि इससे पहले उन्होंने पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए सहमति दे दी थी।
इस मामले में, सीबीआई घोष और मंडल के खिलाफ ठोस सबूत जुटाने की कोशिश कर रही है ताकि मामले की सच्चाई उजागर की जा सके।