कोलकाता : केंद्र सरकार ने गुरुवार को कलकत्ता हाईकोर्ट की एक खंडपीठ को सूचित किया कि पश्चिम बंगाल सरकार कोलकाता पुलिस के पूर्व कमिश्नर विनीत कुमार गोयल के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है। गोयल पर आर.जी. कर अस्पताल में डॉक्टर की दुष्कर्म और हत्या के मामले में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पीड़िता का नाम सार्वजनिक करने का आरोप है।
इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में हुई। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अशोक चक्रवर्ती ने केंद्र सरकार की ओर से अदालत को बताया कि राज्य सरकार को गोयल के खिलाफ कार्रवाई करने में कोई प्रतिबंध नहीं है।
खंडपीठ ने केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) को मामले में पक्षकार बनाने का निर्देश दिया, क्योंकि डीओपीटी केंद्रीय सेवा अधिकारियों, जिनमें भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी भी शामिल हैं, का कैडर नियंत्रक है। अदालत ने डीओपीटी से यह स्पष्ट करने के लिए हलफनामा दायर करने को कहा कि ऐसे मामलों में किसी अखिल भारतीय सेवा अधिकारी के खिलाफ क्या कार्रवाई की जा सकती है।
गुरुवार को, एएसजी ने अदालत को यह भी सूचित किया कि यदि राज्य सरकार कार्रवाई नहीं करती है तो याचिकाकर्ता इस मुद्दे पर नए सिरे से अपील कर सकते हैं। मामले की अगली सुनवाई 23 दिसंबर को होगी।
यह जनहित याचिका (पीआईएल) वकील अनीता पांडे ने दायर की थी। उन्होंने अपनी याचिका में पूर्व पुलिस कमिश्नर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की थी।
उल्लेखनीय है कि गोयल, जो वर्तमान में पश्चिम बंगाल पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) के अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) हैं, आर.जी. कर मामले में प्रारंभिक जांच में कथित लापरवाही के लिए पहले से ही आलोचनाओं का सामना कर रहे थे। जूनियर डॉक्टरों ने शुरुआत से ही उनकी बर्खास्तगी की मांग की थी। मुख्यमंत्री ने अंततः उनकी मांग स्वीकार करते हुए गोयल को हटाकर मनोज कुमार वर्मा को कोलकाता पुलिस का नया कमिश्नर नियुक्त किया।
इससे पहले, दुष्कर्म और हत्या के इस मामले की जांच का जिम्मा कोलकाता पुलिस से लेकर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट और कलकत्ता हाईकोर्ट दोनों ने पीड़िता की पहचान सार्वजनिक करने के मामले में सख्त टिप्पणियां की थीं।