West Bengal : नियुक्ति मामले में पार्थ चटर्जी के खिलाफ ईडी को मिले फंड डायवर्जन के सबूत

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के चर्चित स्कूल नौकरी घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को बड़ा सुराग मिला है। जांच एजेंसी ने खुलासा किया है कि इस मामले में अवैध रूप से अर्जित धन को पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी की दिवंगत पत्नी के नाम पर स्थापित एक ट्रस्ट के माध्यम से डायवर्ट किया गया। इस ट्रस्ट का नाम है ‘बबली चटर्जी मेमोरियल ट्रस्ट’, जिसे ईडी ने हाल ही में दाखिल पांचवें पूरक आरोप पत्र में शामिल किया है।

ईडी ने इस नए आरोप पत्र में पार्थ चटर्जी के दामाद कल्याणमय भट्टाचार्य का भी नाम लिया है। ईडी के अनुसार, भट्टाचार्य ट्रस्ट की वित्तीय गतिविधियों को संचालित करते थे। फिलहाल वह विदेश में बसे हुए हैं। हालांकि, इस साल की शुरुआत में वह कोलकाता आए थे और आयकर विभाग के अधिकारियों से मिले थे। उन्होंने बताया था कि पार्थ चटर्जी ने उनकी पहचान (पैन कार्ड आदि) का उपयोग कर उनके नाम पर संपत्ति खरीदी थी।

ईडी ने अपनी जांच में यह भी पाया कि पार्थ चटर्जी ने अपने दामाद के अलावा अपनी बेटी सोहिनी भट्टाचार्य (चटर्जी) के नाम पर भी बड़ी संपत्तियां खरीदीं। सोहिनी और उनके पति भी विदेश में रहते हैं।

ईडी के आरोप पत्र में 29 नए व्यक्तियों और कॉर्पोरेट संस्थाओं के नाम शामिल किए गए हैं। इनमें एक रियल एस्टेट कंपनी, प्राइवेट शिक्षा क्षेत्र से जुड़ी एक संस्था, और साइकिल निर्माण से संबंधित कंपनियां भी शामिल हैं। साथ ही, ‘एस. बसु रॉय एंड कंपनी’, जो स्कूल नौकरी के लिए लिखित परीक्षाओं के ओएमआर शीट की आपूर्ति करती थी, को भी सूचीबद्ध किया गया है।

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल नौकरी घोटाले में पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा। उन्हें जुलाई 2022 में ईडी ने गिरफ्तार किया था और तब से वह न्यायिक हिरासत में हैं।

सीबीआई की समानांतर जांच
इस मामले की समानांतर जांच कर रही सीबीआई ने भी हाल ही में पार्थ चटर्जी को इस घोटाले में गिरफ्तार दिखाया है। बुधवार को सीबीआई ने मामले के दो अन्य आरोपितों, संतू गांगोपाध्याय और शांतनु बंद्योपाध्याय, के वॉयस सैंपल एकत्र किए हैं। इन सैंपल को उनके मोबाइल फोन से बरामद ऑडियो क्लिप से मिलान किया जाएगा। यह मामला न केवल बंगाल की राजनीति में बल्कि शिक्षा व्यवस्था में हुए भ्रष्टाचार को लेकर भी चर्चा में है।

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