कोलकाता : ‘माई सहेली’ योजना की सफलता को देखते हुए दक्षिण पूर्व रेलवे (द.पू.रे.) की ओर से खासकर महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अब उपनगरीय ट्रेनों में भी ऐसी ही पहल की जा रही है। दक्षिण पूर्व रेलवे के आईजी कम प्रिन्सिपल चीफ सिक्योरिटी कमिश्नर डी. बी. कसर ने शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन के माध्यम से इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ‘माई सहेली’ योजना की वजह से पिछले 1 सालों में दक्षिण पूर्व रेलवे में महिलाओं से संबंधित एक भी घटना नहीं घटी है। उन्होंने कहा कि ट्रेन में अकेले यात्रा करने वाली महिला यात्रियों से जब आरपीएफ कर्मी यात्रा से पूर्व बातचीत करती हैं और उन्हें यह आश्वस्त करती हैं कि उनकी पूरी यात्रा के दौरान वे उनसे बस एक कॉल की दूरी पर हैं, तो इससे महिला यात्री निश्चिंत होकर यात्रा कर पाती हैं। उपनगरीय ट्रेनों में भी सुबह और रात के समय महिला यात्रियों को घर से ऑफिस या ऑफिस से घर या अन्य किसी काम के लिए निकलना पड़ता है। ट्रेन में यात्रा के दौरान उन्हें बहुत बातों का डर लगा रहता है। ऐसे में उपनगरीय ट्रेनों में इस योजना के शुरू होने से महिला यात्रियों को ट्रेन में सुरक्षित यात्रा का अहसास होगा। इसके साथ ही इसका फायदा महिला यात्रियों के साथ ही दूसरे यात्रियों को भी मिलेगा। इसकी शुरुआत हावड़ा-मेदिनीपुर (खड़पुर) रूट से की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि उपनगरीय ट्रेनों लम्बी दूरी की ट्रेनों की तरह एंड टू एंड सुरक्षा उपलब्ध करवाना एक चुनौती है लेकिन वे और उनकी टीम इस चुनौती को स्वीकार कर आगे बढ़ रही है और उम्मीद है कि इस पहल में यात्रियों का सहयोग मिलेगा। डी. बी. कसर ने कहा कि यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जानकारी प्राप्त होना बेहद जरूरी है। इसलिए यात्री जितनी जल्दी कॉल करेंगे उन तक मदद उतनी ही जल्दी उपलब्ध करवाई जाएगी। उपनगरीय ट्रेनों में 1+4 आर्म्ड फोर्स की गश्ती रहेगी। इसके साथ ही विभिन्न स्टेशनों पर आरपीएफ की टीम तैनात रहेगी।
उन्होंने कहा कि लोग पुलिस के पास जाने से हिचकिचाते हैं। ट्रेन में कोई घटना होने पर भी उनके पास पुलिस से सम्पर्क करने की जानकारी नहीं होती है लेकिन इस पहल के माध्यम से पुलिस सीधे यात्रियों तक पहुँचेगी और यात्रियों को इस बात के लिए आश्वस्त करेगी कि उनकी यात्री पूरी तरह से सुरक्षित रहेगी और यदि उन्हें किसी भी तरह का भय या अप्रिय चीजें महसूस होती हैं तो वे 139 पर कॉल कर तत्काल उनसे सम्पर्क साध सकते हैं। 139 के अलावा 2 और मोबाइल नंबर जल्द ही जारी किए जाएंगे।
डी. बी. कसर ने यह भी बताया कि दक्षिण पूर्व रेलवे में जितने भी डिविजन है उन सभी डिविजनों के आरपीएफ कर्मियों को तकनीक के माध्यम से जोड़ा गया है। हर एक आरपीएफ कर्मी अपनी ड्यूटी से संबंधी जानकारी गुगल डाटा शीट में अपलोड करता है और प्रतिदिन के काम के आधार पर उनका मूल्यांकन किया जाता है। ऐसा करने से हर एक कर्मी दिए गए काम में किसी तरह की कोताही नहीं बरतता।