मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज कांड – पश्चिम बंगाल सरकार ने पश्चिम बंगाल फार्मास्युटिकल्स की 14 दवाओं पर लगाई रोक

कोलकाता : पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य की सरकारी एजेंसी पश्चिम बंगाल फार्मास्युटिकल्स द्वारा सप्लाई की जा रही 14 दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह फैसला मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक प्रसूता की मौत के बाद लिया गया है, जहां कथित रूप से इस एजेंसी द्वारा आपूर्ति किए गए रिंगर लैक्टेट सॉल्यूशन के इस्तेमाल के बाद गंभीर जटिलताएं सामने आई थीं। स्वास्थ्य विभाग ने मंगलवार को इस संबंध में आधिकारिक आदेश जारी किया, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अब ये 14 दवाएं राज्य के किसी भी सरकारी अस्पताल में इस्तेमाल नहीं की जा सकेंगी। जिन अस्पतालों में ये दवाएं पहले से मौजूद हैं, उन्हें तत्काल हटाने का निर्देश दिया गया है।

स्वास्थ्य विभाग के आदेश के अनुसार, इन 14 दवाओं में से पहली सात दवाओं की आपूर्ति अब दूसरी फार्मास्युटिकल कंपनियां करेंगी, जबकि शेष सात दवाओं को अस्पतालों को बाजार से खरीदना होगा। इसके लिए जरूरी फंड सरकार की ओर से उपलब्ध कराया जाएगा।

14 प्रतिबंधित दवाएं इस प्रकार है –

मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज में प्रसूता की मौत के बाद प्रतिबंधित की गई दवाओं में रिंगर लैक्टेट सॉल्यूशन, डेक्सट्रोज सॉल्यूशन, लिवोफ्लॉक्सासिन इन्फ्यूजन, पेरासिटामोल इन्फ्यूजन, सोडियम क्लोराइड इंजेक्शन, मैनिटोल इन्फ्यूजन, ऑफ्लॉक्सासिन इन्फ्यूजन, पेडियाट्रिक मेंटेनेंस इलेक्ट्रोलाइट सॉल्यूशन, रिंगर सॉल्यूशन, सोडियम क्लोराइड इरिगेशन सॉल्यूशन, सोडियम क्लोराइड 0.9% +डेक्सट्रोज 5% इंजेक्शन, सोडियम क्लोराइड इंजेक्शन 0.45% के साथ डेक्सट्रोज 5%, सोडियम क्लोराइड इंजेक्शन IP 0.9% नॉर्मल और डेक्सट्रोज इंजेक्शन 10% एमओएसएम/लीटर 650 मिली हाइपरटोनिक शामिल हैं।

कर्नाटक सरकार ने भी की थी कार्रवाई

हाल ही में कर्नाटक सरकार ने भी पश्चिम बंगाल फार्मास्युटिकल्स द्वारा सप्लाई की जा रही कुछ दवाओं पर रोक लगाई थी। कर्नाटक में पांच गर्भवती महिलाओं की मौत के बाद इस फार्मा कंपनी की दवाओं पर सवाल खड़े हुए थे। वहां की जांच में इस कंपनी की कुछ दवाओं की गुणवत्ता पर संदेह जताया गया था, जिसके बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने भी सतर्कता बरतते हुए यह बड़ा फैसला लिया है।

स्वास्थ्य विभाग के इस फैसले को सरकार की ओर से मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया एक एहतियाती कदम माना जा रहा है। फिलहाल, राज्य के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में इन दवाओं की जगह नई दवाएं मंगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

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