निलंबन के खिलाफ मिदनापुर मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टरों का कार्य बहिष्कार

कोलकाता : मिदनापुर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (एमएमसीएच) में महिला की प्रसव के बाद मौत और चार अन्य महिलाओं के गंभीर रूप से बीमार होने के मामले में 12 डॉक्टरों के निलंबन के बाद जूनियर डॉक्टरों ने अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया है।

गुरुवार रात से ही एमएमसीएच के प्रसूति-स्त्री रोग और एनेस्थेसिया विभाग के जूनियर डॉक्टरों ने इस निलंबन के खिलाफ विरोध जताते हुए पूरी तरह से काम बंद कर दिया। शुक्रवार सुबह आठ बजे से यह बहिष्कार पूरे मेडिकल कॉलेज में लागू कर दिया गया है।

जूनियर डॉक्टरों का आरोप है कि सरकार ने स्वास्थ्य विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार और अन्य कमियों से ध्यान भटकाने के लिए डॉक्टरों को निलंबित किया है। एक जूनियर डॉक्टर ने बताया, “हमारे छह सहयोगियों को गलत तरीके से निलंबित किया गया है। यह कदम स्वास्थ्य व्यवस्था में दवाओं के दुष्प्रभाव और अन्य खामियों से ध्यान हटाने के लिए उठाया गया है।”

गुरुवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मामले में 12 डॉक्टरों को निलंबित करने की घोषणा की। निलंबित डॉक्टरों में अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट और वाइस प्रिंसिपल, आरएमओ, विभागाध्यक्ष, एक वरिष्ठ रेजिडेंट और छह पोस्टग्रेजुएट प्रशिक्षु डॉक्टर शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सीआईडी और स्वास्थ्य विभाग की 13 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में डॉक्टरों को कर्तव्य में लापरवाही का दोषी पाया गया।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने संबंधित दवा कंपनी की दवाओं और इंट्रावीनस फ्लूइड्स को सभी सरकारी अस्पतालों में उपयोग से रोक दिया है। साथ ही सीआईडी को डॉक्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है।

जूनियर डॉक्टरों ने इस निलंबन को वापस लेने की मांग की है। उन्होंने इसे “नैतिक संकट” का समय बताया और कहा कि वे अपने सहयोगियों के साथ खड़े हैं।

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