…जब मिले ज्ञान भारती स्कूल के सहपाठीगण

कोलकाता : ज्ञान भारती स्कूल से पढ़े वर्ष 1966 व 1967 के विद्यार्थी कई वर्षों बाद फिर एक दूसरे से मिले। मौका था लेकटाउन के होटेल एन के सेवेन के बैक्वेंट सभागार में आयोजित एक एलमनी पार्टी का जिसे स्कूल के टॉपर रहे पवन बजाज ने आयोजित किया था।

आयोजन का संचालन कर रहे ज्ञान भारती के ही 1967 में उत्तीर्ण महाबीर प्रसाद रावत ने बताया कि करीब दो महीने से इस आयोजन को लेकर प्रयास चल रहा था। 40 ऐसे मित्रों से संपर्क किया गया जो इस अवधि में स्कूल में पढ़े थे। इनमें से 17 मित्र कोलकाता से बाहर रहने के कारण नहीं आ पाये। 23 मित्रों ने इस आयोजन में हिस्सा लिया।

गोपाल दास बागड़ी विशेष रूप से इस आयोजन के लिए बंगलौर से कोलकाता आये। शामिल हुए सभी मित्रों को अपना परिचय देने को कहा गया। वर्ष 1966 में वाणिज्य विभाग में प्रथम रहे कैलाश मुकीम तथा द्वितीय रामदत्त टिबडे़वाल एवं विज्ञान विभाग में प्रथम श्रेणी में प्रथम पवन बजाज व द्वितीय शरद दूगड़ ने स्कूली जीवन के बाद शुरू हुए अपने सफर के बारे में उपस्थित मित्रों को विस्तार से बताया। कला विभाग के एकमात्र छात्र रहे कृष्ण कुमार मुरारका ने तब और अब के जीवन में आए बदलाव की बातें बताई। गोवर्धन दास बागड़ी, श्रीकृष्ण तुलस्यान, यादव कुमार चन्नानी, सुशील चांगिया, मदन मोहन भट्टड़, अजीत सिंघी, रमाकांत गुप्ता, महेंद्र पोद्दार, मदनलाल अग्रवाल, प्रमोद पोद्दार, सज्जन सेकसरिया, कृष्ण कुमार सराफ, रमेश पोद्दार, राजेन्द्र दूगड़ एवं सुरेश चौधरी सभी पुराने मित्रों एवं सहपाठियों से मिलकर बहुत खुश हुए।

विशिष्ट उद्यमी व लोकप्रिय गायक सत्यनारायण तिवाड़ी ने गीतों के सफर पर संगीत का सुंदर कार्यक्रम प्रस्तुत किया। उन्होंने ‘चाहूंगा मैं तुझे सांझ सवेरे-मो. रफी’, “होठों से छू लो तुम मेरे गीत अमर कर दो- जगजीत सिंह’, ‘मैं शायर तो नहीं -शैलेंद्र’, ‘तुम अगर साथ देने का वादा करो-महेंद्र कपूर’, ‘दुनिया बनाने वाले एवं मेहमां जो हमारा होता है-मुकेश’., ‘मेरे नैना सावन भादो- किशोर कुमार’, ‘कसमें वादे प्यार वफा सब – मन्ना डे’ जैसे कर्णप्रिय गीतों की मनमोहक प्रस्तुति दी। भजनों में-जयति जय जय राजस्थान,ब नगरी हो अयोध्या सी,मेरा छोटा सा परिवार प्रभु आ जाओ एक बार, जहां ले चलोगे और धरती धोरां री गीत को सुनाते हुए उन्होंने उपस्थित हर एक की प्रशंसा पाई।

आयोजन में विशेष रूप से उपस्थित हुए ज्ञान भारती स्कूल के अध्यक्ष व बिड़ला समूह के सर्वोच्च पदाधिकारी राजेन्द्र प्रसाद पसारी ने कहा कि आप लोगों ने यह आयोजन कर सभी को एक बार फिर विद्यालय के गौरवशाली इतिहास की याद दिलाई है, इसे आगे की ओर ले जाने के लिए हम सभी को प्रतिबद्ध रहना होगा। दैनिक छपते–छपते के संपादक विश्वम्भर नेवर ने कहा कि पश्चिम बंगाल और खासकर बड़ाबाजार में हिंदी विद्यालयों की स्थापना में मारवाड़ी समाज की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, इसके पीछे समाज का यही उद्देश्य रहा कि हर जाति, वर्ग, समाज तक शिक्षा का प्रकाश पहुंचे। वर्तमान में बदली हुई परिस्थिति के बीच यही ध्येय गतिमान रहे, मेरी ओर से यही शुभकामना है। मौके पर उपस्थित ज्ञान भारती के प्रधान सचिव शरद केडिया, उपाध्यक्ष सुधीर पाटोदिया, संयुक्त सचिव सुरेश बागला, कार्यकारिणी सदस्य पवन भालोटिया, सुभाष जैन, बिंदु खेतान, शिक्षाविद् काशी प्रसाद खण्डेलवाल, कैंसर विशेषज्ञ डॉ. विकास अग्रवाल, अमर भरतिया, शंकर कुमार डोकानिया, अधिवक्ता अजय चौबे, सांवरमल अग्रवाल, अशोक ढेढिया, कृष्ण कुमार खण्डेलवाल आदि ने भी आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह का आयोजन कर आप लोगों ने सबकी स्कूल से जुड़ी यादों को लौटा लाने का महत्वपूर्ण कार्य किया है, इसके लिए आप सभी धन्यवाद के पात्र हैं।

उपस्थित सभी ने निरंजन कुमार अग्रवाल व उनके परिवार के अन्य सदस्यों प्रतीक अग्रवाल, जूही अग्रवाल, निधि अग्रवाल से मिले विशेष सहयोग के लिए आभार प्रकट किया। रजनीश-श्रुति बजाज, मयंक बजाज, दीपा- गौतम जालान के सुंदर समन्वय की भी सबने खूब सराहना की। मैनचेस्टर से आये युवा इंजीनियर आदित्य-सेजल तिवाड़ी के साथ योगेश-प्रीति तिवाड़ी, बिंदु तिवाड़ी, अम्बिका-रीतेश खण्डेलवाल, राहुल सराफ, राहुल तुलस्यान, विशाल केशान आदि की उल्लेखनीय उपस्थिति रही। वीडियो फोटोग्राफी व फोटो फ्रेम फोटोग्राफर सुकेश पटेल ने किया। स्वरुचि भोज के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

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