श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को यहां एशिया के सबसे बड़े ट्यूलिप गार्डन में केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू से मुलाकात की, इस मुलाकात की विपक्षी दलों ने आलोचना की और इसे वक्फ कानून के प्रति सौहार्द करार दिया। नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला भी इस मुलाकात के दौरान मौजूद थे।
विपक्षी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस ने इस मुलाकात को लेकर सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि वक्फ अधिनियम पारित करने के मामले में वह बिना किसी दिखावे के भाजपा के सामने आत्मसमर्पण कर रही है।
पीडीपी नेता नईम अख्तर ने कहा कि वक्फ कानून में सौहार्द इतनी जल्दी। जब सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्य इस मुद्दे पर विधानसभा में नाटक कर रहे थे तब दिखावा भी नहीं किया गया। रिजिजू ने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री के रूप में संसद में विधेयक का संचालन किया।
पीडीपी के एक अन्य नेता और पुलवामा से पार्टी के विधायक वहीद पारा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के मुसलमानों को सरकार के राजनीतिक रंगमंच में एक सहारा मात्र बना दिया गया है मंच पर तो वे उपयोगी हैं लेकिन जब वास्तविक निर्णय लिए जाने हों तो उनका प्रतिनिधित्व करना बहुत असुविधाजनक है। पारा ने एक्स पर आरोप लगाया कि इस बीच, तमिलनाडु ने वक्फ विधेयक को पूरी तरह से खारिज कर दिया है क्योंकि उनके पास विरोध करने की हिम्मत है। लेकिन एनसी हमारे लोगों और संस्थानों की कीमत पर राजनीतिक लाभ के लिए आत्मसमर्पण करती रहती है। पुलवामा के विधायक ने कहा कि एनसी ने केंद्रीय मंत्री के लिए ट्यूलिप गार्डन में लाल कालीन बिछाया है जिन्होंने संसद में वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया और उसका बचाव किया।
उन्होंने कहा कि एनसी विधायक दिखावे के लिए जितना चाहें विरोध कर सकते हैं। लेकिन हम जानते हैं कि सीएम और एनसी संरक्षक ने ट्यूलिप गार्डन में किसी और के लिए नहीं बल्कि किरेन रिजिजू के लिए लाल कालीन बिछाया है वही मंत्री जिन्होंने संसद में विधेयक पेश किया और उसका बचाव किया। पारा ने कहा कि किसने सोचा होगा कि अल्पसंख्यकों के अधिकारों का बचाव एक खिलखिलाती फोटो खिंचवाने जैसा लगता है।
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन ने कहा कि मुख्यमंत्री को विरोध के तौर पर केंद्रीय मंत्री से दूर रहना चाहिए था। लोन ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि भारत के मुसलमानों को सबसे कम यह मिलना चाहिए कि भारत के एकमात्र मुस्लिम बहुल प्रांत जम्मू-कश्मीर में मुख्यमंत्री विरोध के तौर पर किरेन रिज्जू से दूर रहते हैं जिन्होंने वक्फ बिल पेश किया था। इसके बजाय वे फारूक साहब को भी अपने साथ ले जाते हैं। कितनी शर्म की बात है।