अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से जुड़ा शुभांशु का स्पेसक्राफ्ट, 14 दिनों बाद धरती पर लौटेंगे

कई घंटे की जांच-पड़ताल के बाद क्रू के चारों सदस्यों ने आईएसएस में प्रवेश किया
नयी दिल्ली : नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से अंतरिक्ष के लिए रवाना किया गया स्पेसएक्स ड्रैगन कैप्सूल गुरुवार को तय समय से 20 मिनट पहले अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर पहुंच गया। यह प्रक्रिया लेजर सेंसर, कैमरे और स्वचालित सिस्टम से हुई। इस मिशन का संचालन भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने किया। हवा के रिसाव और दबाव की स्थिरता की लंबी जांच-पड़ताल के बाद क्रू के सदस्यों ने आईएसएस में प्रवेश किया। चारों अंतरिक्ष यात्री 14 दिनों तक वहां रहकर धरती पर लौटेंगे।

फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से गुरुवार को भारतीय समयानुसार दोपहर 12:01 बजे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) की ओर उड़ान भरने के बाद यह यान 418 किमी ऊंचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है। लॉन्च के बाद से यह लगभग 28 घंटे की यात्रा पूरी करके अपनी मंजिल पर पहुंच चुका है। एक्स-4 क्रू में भारत, पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष भेजे गए हैं। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला बतौर पायलट इस मिशन से जुड़े हैं, जबकि अनुभवी अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन एक्सिओम-4 मिशन की कमान संभाल रही हैं। दो अन्य सदस्यों में हंगरी के टिबोर कापू और पोलिश अंतरिक्ष यात्री स्लावोज उज़्नान्स्की हैं।

एक्सिओम-4 मिशन की सफलता पर केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि अभी डॉकिंग हो गई है। वहां जितने भी प्रयोग होने वाले हैं, उन सबकी सामग्री भारत में विकसित की गई है, तो हो गया आत्मनिर्भर भारत। वहां से जो प्रयोग होंगे, जो नतीजे निकलेंगे वो दूसरे देशों के काम आएंगे, तो हो गया विश्वबंधु भारत। जिस प्रकार से भारत इन सब प्रक्रियाओं में अब अगुवाई करने लगा है, तो हो गया विकसित भारत। मुझे लगता है कि यह दुनिया के लिए एक बहुत बड़ा संकेत है और इससे दुनिया के आगे भारत की छवि बदली है। उन्होंने कहा कि पिछले एक-दो वर्षों में इंजीनियरिंग कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में एयरोस्पेस अध्ययन में काफी रुचि बढ़ी है। इसरो में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों के लिए ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण होता है। हजारों आवेदन आते हैं। यह हमारे सफल प्रयोगों का परिणाम है।

वायु सेना के ग्रुप कैप्टन और अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की मां आशा शुक्ला ने कहा कि डॉकिंग सफलतापूर्वक हुई। यह बहुत गर्व की बात है। यह सभी के लिए अच्छा है। हम बहुत खुश हैं, हमने हर दिन प्रार्थना की। हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि वे अपना कर्तव्य अच्छी तरह से निभाएं और सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर लौटें। इसका श्रेय सिर्फ मेरे बेटे और उसकी कड़ी मेहनत और समर्पण को जाता है। शुभांशु शुक्ला के पिता शंभू दयाल शुक्ला ने कहा कि हमें बहुत खुशी है। सफल डॉकिंग हुई है, इसके लिए हम भगवान का धन्यवाद करते हैं। हमें ये देख कर बहुत अच्छा लगा। हमें अपने बच्चे पर गर्व है।

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