दीघा में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किया रथयात्रा का शुभारंभ, उमड़े श्रद्धालु

ममता ने की भगवान जगन्नाथ की आरती, सोने के झाड़ू से की रास्ते की सफाई
कोलकाता : बंगाल के समुद्र तटीय शहर दीघा में शुक्रवार को रथयात्रा का भव्य आयोजन हुआ। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुद सोने की झाड़ू से रास्ता साफ कर रथयात्रा की शुरुआत की और भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की आरती उतारी। इस अवसर पर रथ के साथ इस्कॉन के कई संन्यासी और भारी संख्या में श्रद्धालु भी मौजूद रहे।

सुबह आठ बजे से ही मंदिर परिसर को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के तहत रखा गया। जगन्नाथ मंदिर के सामने तीनों सुसज्जित रथों को सजाया गया था। मंदिर परिसर में पुलिस बल की भारी तैनाती रही। मौसम के खराब रहने के बावजूद भी श्रद्धालुओं की भीड़ लगातार बढ़ती रही।

सुबह करीब नौ बजे ‘पाहंडी विजय’ की पारंपरिक विधि के तहत भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियों को मंदिर से बाहर लाकर रथों पर विराजमान किया गया। इस दौरान मंत्रोच्चार, घंटा-शंख की ध्वनि और ढोल-करताल की धुनों ने वातावरण को भक्तिमय कर दिया।

मंदिर के द्वार आम लोगों के लिए खोले गए और उन्हें मंदिर परिसर में प्रवेश की अनुमति दी गई। यहां भक्तों को भगवान के दर्शन के साथ-साथ प्रसाद वितरण की भी व्यवस्था की गई थी। मंदिर का द्वार नंबर-दो आम श्रद्धालुओं के लिए प्रवेश द्वार बनाया गया।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद रथ के साथ पैदल चलीं। उन्होंने पहले ही घोषणा की थी कि किसी भी भगदड़ की आशंका को टालने के लिए रथयात्रा के दौरान सड़क पर आम लोगों को नहीं रहने दिया जाएगा। इसके लिए सड़क के दोनों ओर बैरिकेडिंग की गई, ताकि लोग बैरिकेड के बाहर से रथ देख सकें। रथ की रस्सी भी बैरिकेड तक खींची गई ताकि श्रद्धालु उसे छूकर पुण्य प्राप्त कर सकें।

समय के अनुसार दोपहर 2:00 बजे रथ की पूजा और आरती हुई और 2:30 बजे यात्रा शुरू हुई। लगभग एक किलोमीटर की दूरी तय कर रथ को ‘मासीबाड़ी’ तक ले जाया जाना था। एक घंटे में रथ ने आधा रास्ता तय कर लिया। सड़क के दोनों ओर भारी संख्या में लोग खड़े होकर रथयात्रा के दर्शन कर रहे थे।

रथयात्रा से कुछ घंटे पहले पश्चिम बंगाल पुलिस के महानिदेशक राजीव कुमार ने स्थल पर पहुंच कर आखिरी बार सुरक्षा व्यवस्था का जायज़ा लिया। आयोजन के दौरान हर स्तर पर सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे।

गौरतलब है कि यह रथयात्रा दीघा स्थित नवनिर्मित जगन्नाथ मंदिर से पहली बार निकाली गई। मंदिर का उद्घाटन अक्षय तृतीया के दिन किया गया था। पुरी की तर्ज पर यहां भी भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के लिए अलग-अलग तीन रथ बनाए गए हैं।

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