– बिम्सटेक देशों से कोरोना महामारी के खिलाफ एक साथ रहने का किया था आह्वान
– कार्यक्रम में शामिल हुए थे बांग्लादेश, म्यांमार, नेपाल, थाईलैंड, भूटान, श्रीलंका
नयी दिल्ली : भारतीय सैन्य बलों के प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने निधन से एक दिन पहले अपने अंतिम भाषण में कोरोना को जैविक युद्ध के रूप में चेतावनी दी थी। उन्होंने तीनों सेनाओं के लिए कहा कि हम सभी का एकसाथ रहना बहुत महत्वपूर्ण है ताकि बिम्सटेक देशों में किसी भी तरह की आपदा आने पर एक दूसरे का समर्थन कर सकें। अब तक विभिन्न आपदाएं आ चुकी हैं जिनमें कुछ प्राकृतिक, कुछ मानव निर्मित शामिल हैं। इन सबसे ऊपर वायरस जनित कोरोना महामारी कई रूपों में बदल रही है जिसके लिए हमें तैयार रहना होगा।
दरअसल, देश में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमीक्रोन की दस्तक के बाद भारतीय सेना बिम्सटेक देशों के साथ 20-22 दिसंबर तक पुणे में बहु-राष्ट्र आपदा प्रबंधन अभ्यास का आयोजन कर रही है। इसकी तैयारी के सिलसिले में 07 दिसंबर को दिल्ली में हुए सम्मेलन को सैन्य बलों के प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने अपने असामयिक निधन से पहले अपने अंतिम सार्वजनिक भाषण में चेतावनी दी थी कि कोरोना एक जैविक युद्ध के रूप में विकसित हो सकता है और ऐसे में राष्ट्रों को इसका मुकाबला करने के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा था कि कोरोना के नए-नए वेरिएंट आने से पता चलता है कि यह महामारी अभी खत्म नहीं हुई है, इसलिए भारतीय सेना कोरोना से मुकाबला करने के उद्देश्य से पेनेक्स-21 बहुराष्ट्र आपदा प्रबंधन अभ्यास का आयोजन कर रही है।
जनरल रावत ने कहा था कि यह एक नए प्रकार का जैविक युद्ध बन रहा है, इसलिए बिम्सटेक देशों को एक साथ रहना होगा। साथ ही खुद को मजबूत करना होगा ताकि हमारे देश इन वायरस और बीमारियों से प्रभावित न हो सकें। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने ‘बिम्सटेक राष्ट्रों के बीच रक्षा सहयोग’ पर सदस्य देशों की सुरक्षा और न्यायिक एजेंसियों के बीच रक्षा सहयोग की सुविधा के लिए सामान्य कानूनी ढांचे को तैयार करने और सूचना साझाकरण तंत्र की स्थापना के महत्व पर भी प्रकाश डाला था। उन्होंने कहा था कि हम सभी के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम एकसाथ रहकर अपने किसी भी राष्ट्र में एक-दूसरे का समर्थन करें।
उन्होंने यह भी कहा कि दुनियाभर में सशस्त्र बलों को आपदाओं का मुकाबला करने के लिए विशेष तैयारी करनी पड़ती है क्योंकि कोरोना महामारी के समय देखा जा सकता है कि रक्षा बलों का इस्तेमाल हर देश अपनी नागरिक आबादी तक पहुंचने और उनकी मदद करने के लिए करता है। इस कार्यक्रम में बांग्लादेश, म्यांमार, नेपाल, थाईलैंड, भूटान, श्रीलंका और भारत की भागीदारी देखी गई, जिसमें भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे और रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट भी शामिल थे। जनरल रावत वेलिंगटन के डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज में छात्रों और फैकल्टी को संबोधित करने जा रहे थे, तभी उनका हेलीकॉप्टर तमिलनाडु के कुन्नूर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिसमें रावत दंपति समेत 13 लोगों की मौत हो गई।