शांतनु सेन ने मेडिकल काउंसिल के फैसले को दी हाई कोर्ट में चुनौती, कहा…

कोलकाता : राज्य मेडिकल काउंसिल द्वारा मेडिकल पंजीकरण रद्द किए जाने के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सांसद और डॉक्टर शांतनु सेन ने शुक्रवार को कलकत्ता हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। न्यायमूर्ति अमृता सिंह की पीठ के समक्ष उन्होंने याचिका दाखिल की और स्पष्ट किया कि वह इस फैसले को चुपचाप स्वीकार नहीं करेंगे।

शांतनु सेन ने कहा कि मेरे परिश्रम से हासिल किए गए रजिस्ट्रेशन को अगर कोई साजिश के तहत छीनने की कोशिश करता है तो क्या मैं चुप बैठा रहूंगा? नहीं। मैं कानूनी सलाह लूंगा और जीतूंगा।

एक दिन पहले राज्य मेडिकल काउंसिल ने उनके डॉक्टर पंजीकरण को दो वर्षों के लिए निलंबित कर दिया था। आरोप है कि उन्होंने ‘एफआरसीपी ग्लासगो’ नामक विदेशी डिग्री का उल्लेख बिना पंजीकरण के किया था। काउंसिल का दावा है कि यह डिग्री एक मानद डिग्री है और इसके तहत चिकित्सकीय प्रैक्टिस की अनुमति नहीं होती। काउंसिल ने इस संबंध में ग्लासगो मेडिकल संस्था को ई-मेल भी भेजा, लेकिन अब तक जवाब नहीं मिला है।

शांतनु सेन, जो पहले कोलकाता नगर निगम में तृणमूल के पार्षद और फिर राज्यसभा सांसद रह चुके हैं, पिछले एक वर्ष से पार्टी से निलंबित हैं। यह निलंबन आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज में कथित अनियमितताओं और तत्कालीन प्राचार्य संदीप घोष के खिलाफ उनके खुलासों के बाद हुआ था। संदीप घोष इस समय जेल में बंद हैं।

हालांकि पार्टी से निलंबन के बावजूद शांतनु सेन तृणमूल के वरिष्ठ नेता अभिषेक बनर्जी के डायमंड हार्बर क्षेत्र में ‘सेबाश्रय’ कार्यक्रम से जुड़े रहे, जहां वे चिकित्सकों को संगठित करने में सक्रिय भूमिका निभाते रहे। इससे पार्टी के भीतर यह संकेत भी मिला कि केंद्रीय नेतृत्व उन्हें पूरी तरह से दरकिनार नहीं कर रहा।

विवादित डिग्री मामले के अलावा, इस वर्ष की शुरुआत में उन्हें राज्य मेडिकल काउंसिल से भी हटा दिया गया था। शांतनु के करीबियों का आरोप है कि तभी से उनके खिलाफ ‘साजिश’ रची जा रही थी, जो अब चरम पर पहुंच गई है।

इस पूरे घटनाक्रम में उनकी पत्नी और वार्ड संख्या चार की पार्षद डॉ. काकली सेन भी प्रभावित हुई हैं। उन्हें कोलकाता नगर निगम के पार्षदों के व्हाट्सप समूह से हटा दिया गया है।

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