कोलकाता : पश्चिम बंगाल के महाधिवक्ता सोमेंद्र मुखर्जी ने गुरुवार को कलकत्ता हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव के समक्ष अपनी गलती स्वीकार करते हुए कहा है कि हावड़ा नगर निगम से बाली नगरपालिका को अलग करने संबंधी प्रस्ताव पर राज्यपाल के हस्ताक्षर होने संबंधी जो दावा किया था, वह गलत है। साथ ही उन्होंने हावड़ा नगर निगम में भी चुनाव न होने के कारण का जवाब देने के लिए वक्त मांगा है, जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने 6 जनवरी तक का समय दिया है।
दरअसल, कोलकाता नगर निगम में चुनाव की घोषणा होने के बाद हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। जिस पर कोर्ट ने पूछा था कि हावड़ा नगर निगम चुनाव क्यों नहीं हो रहे है। 24 दिसंबर को इस मामले की सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने कोर्ट के समक्ष दावा किया कि हावड़ा नगर निगम से बाली नगरपालिका को अलग करने संबंधी प्रस्ताव राज्य सरकार ने पारित कर दिया है, जिस पर राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने पहले तो इसे स्वीकृति देने से इनकार किया था लेकिन अब सब कुछ ठीक हो गया है और उन्होंने हस्ताक्षर कर दिए हैं।
महाधिवक्ता के इस दावे के ठीक दूसरे दिन राज्यपाल ने ट्वीट कर बताया था कि हावड़ा नगर निगम संशोधन अधिनियम पर उन्होंने हस्ताक्षर नहीं किए हैं। इस विधेयक के संबंध में उन्होंने राज्य सरकार से कुछ सवाल पूछे हैं, जिनका जवाब अभी तक नहीं मिला है।
गुरुवार को इस बारे में अपनी गलती स्वीकार करते हुए महाधिवक्ता ने कहा कि मैंने एक लिखित बयान देखा था, जिसे देख कर भूलवश यह समझ लिया था कि राज्यपाल ने अपनी सहमति दे दी है और सारी समस्याएं खत्म हो गई हैं। यह मेरी गलती थी। मैं हावड़ा नगर निगम में अभी तक चुनाव नहीं होने के कारणों के बारे में नए सिरे से हलफनामा दाखिल करूँगा। इसके बाद कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 6 जनवरी तारीख तय की है।