उनकी फिल्मों की कहानियां आम जिंदगी के करीब इतने कि उसके फिल्मी होने को लेकर शक पैदा होने लगे। नायक का चेहरा-मोहरा और ढंग-ढर्रे ऐसा कि उस दौर का हर मामूली नौजवान उससे वाबस्ता था। बासु चटर्जी की फिल्में मध्यम वर्ग के सपनों और दुविधाओं की नायाब कहानियां हैं। एक समय जिसे समानांतर सिनेमा/ आर्ट फिल्म कहा गया, उस श्रेणी में रखी गयी शुरुआती कुछ फिल्मों में बासु चटर्जी की फिल्में भी थीं। मसलन, साहित्यकार राजेंद्र यादव के उपन्यास पर आधारित फिल्म ‘सारा आकाश।’ साधारण लोगों की कहानियों कहने वाले बासु चटर्जी असाधारण फिल्मकार बन गए।
रेलवे में मुलाजिम पिता के पुत्र बासु चटर्जी का जन्म 10 जनवरी 1927 को अजमेर में हुआ। बाद में उनका परिवार मथुरा पहुंचा। मथुरा और आगरा में उनकी पढ़ाई-लिखाई हुई। यहीं गीतकार शैलेंद्र और साहित्यकार राजेंद्र यादव से दोस्ती भी। आजीविका की तलाश में जब मुंबई पहुंचे तो पहले एक स्कूल में कुछ समय के लिए लाइब्रेरियन और बाद में ‘ब्लिट्ज’ के कार्टूनिस्ट के तौर पर लंबे अरसे तक काम किया।
‘सारा आकाश’ से शुरू हुआ बासु चटर्जी का फिल्मी सफर ‘रजनीगंधा’, ‘चितचोर’ ‘छोटी-सी बात’, ‘खट्टा-मीठा’, ‘बातों-बातों में’, ‘स्वामी’, ‘शौकीन’, ‘चमेली की शादी’ जैसी नायाब फिल्मों से होता हुआ उस मुकाम पर पहुंचा, जहां पहुंचना दूसरे फिल्मकारों के लिए आसान नहीं है। उन्होंने हिंदी साहित्य से अपनी फिल्मों की कहानियां लीं। दूसरे, मध्यम वर्ग की उम्मीदों-उदासियों की दास्तां कहने वाले बासु चटर्जी के लिए फिल्म की कहानी प्रधान थी, नायक-नायिका नहीं। खूब यह कि अपनी इस सोच को उन्होंने कामयाब बनाकर दिखाया। 93 वर्ष की उम्र में 4 जून 2020 को उन्होंने अंतिम सांसें लीं।
अन्य अहम घटनाएं :
1616 : ब्रिटिश राजदूत थॉमस रो ने अजमेर में मुगल बादशाह जहांगीर से मुलाकात की।
1692 : कलकत्ता के संस्थापक जॉब कारनॉक का कलकत्ता में निधन।
1886 : भारत के शिक्षाविद्, अर्थशास्त्री और न्यायविद् जॉन मथाई का जन्म।
1908 : हिंदी साहित्यकार पद्मनारायण राय का जन्म।
1940 : भारतीय पार्श्व गायक और संगीतकार के.जे. येसुदास का जन्म।
1969 : सुप्रसिद्ध राजनेता व लेखक सम्पूर्णानंद का निधन।
1972 : पाकिस्तान की जेल में 9 महीने रहने के बाद शेख मुजीबुर्रहमान रिहा होकर अपने स्वतंत्र देश पहुंचे।
1974 : भारतीय अभिनेता ऋतिक रोशन का जन्म।
1975 : नागपुर में प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन।