इतिहास के पन्नों में : 12 जनवरी – एक दैदीप्यमान स्वर

शास्त्रीय गायन में अनेकानेक दिग्गज हुए जिन्होंने न केवल संगीत की पूरी धारा को प्रभावित किया बल्कि किसी खास कालखंड का प्रतिनिधित्व किया। ऐसे ही दिव्य सांस्कृतिक विभूति के रूप में रेखांकित किये गए हिंदुस्तानी और कर्नाटक संगीत के माहिर गायक पंडित कुमार गंधर्व। निर्गुन गायन में विशिष्ट पहचान रखने वाले कुमार गंधर्व ने कबीर की बानी को वर्षों की साधना में तपे अपने स्वर से ऐसी आध्यात्मिक छुअन दी, जिसकी दूसरी मिसाल नहीं- उड़ जाएगा हंस अकेला, जग दर्शन का मेला।

हिंदुस्तानी संगीत के ख्यातिलब्ध गायक कुमार गंधर्व को सुनना ऐसा सफर है, जिसमें रागों का ताप, स्वरों की ऊंचाई और लालित्य की अद्भुत गहराई है। कुमार गंधर्व का जन्म 8 अप्रैल 1924 को कर्नाटक के धारवाड़ में हुआ। उनका वास्तविक नाम शिवपुत्र सिद्धरामैया कोमकाली था। उन्होंने पुणे में प्रोफेसर देवधर और अंजनी बाई मालपेकर से संगीत की शिक्षा ली।

1947 में भानुमती से उनका विवाह हुआ और वे मध्य प्रदेश के देवास आ गए। टीबी की बीमारी से जूझ रहे कुमार गंधर्व जलवायु परिवर्तन की मंशा से इंदौर भी गए। 1952 के आसपास वे काफी हद तक ठीक होकर दोबारा गाने लगे। 68 वर्ष की उम्र में 12 जनवरी 1992 को देवास में उनका निधन हुआ।

अन्य अहम घटनाएं :

1863ः महान आध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानंद का जन्म।

1976ः दुनिया के जाने-माने जासूसी उपन्यासकारों में शामिल अगाथा क्रिस्टी का निधन।

2005ः फिल्म अभिनेता अमरीश पुरी का निधन।

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