प्रतापगढ़ : प्रतापगढ़ जिले की रानीगंज विधानसभा सीट 2012 से अस्तित्व में आई और अब तक इस सीट पर दो बार विधानसभा के चुनाव हुए हैं। इसमें 2012 में समाजवादी पार्टी के शिवाकांत ओझा चुनाव जीते और सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे, वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के अभय कुमार उर्फ धीरज ओझा चुनाव जीते। अभी तक इस सीट पर कांग्रेस और बसपा का खाता नहीं खुल सका है। रानीगंज सीट पर चुनाव रोचक होगा और भाजपा एवं सपा के बीच कांटे की टक्कर होने की संभावना जताई जा रही है।
रानीगंज विधानसभा सीट की सीमा जौनपुर के मुंगरा बादशाहपुर से जुड़ी हुई है, जिसे परिसीमन के बाद बदल दिया गया। यह विधानसभा सीट 2012 में परिसीमन के बाद पहली बार अस्तित्व में आई। 2012 में सपा प्रत्याशी शिवाकांत ओझा ने जीत दर्ज की। इस चुनाव में सपा को 63,076 वोट मिले तो वहीं बसपा के मंशा अहमद को 50,472 वोट मिले। इस चुनाव में भाजपा के लक्ष्मी नारायण पांडे तीसरे स्थान पर रहे थे जबकि अपना दल के रामकुमार यादव को चौथा स्थान प्राप्त हुआ था।
2017 में रानीगंज विधानसभा सीट पर नरेन्द्र मोदी लहर का असर देखने को मिला। भाजपा के अभय कुमार उर्फ धीरज ओझा की जीत हुई। उन्हें 67,031 मत मिले, जबकि बसपा प्रत्याशी शकील अहमद खान को 58,022 मत मिले। भाजपा के लिए इस सीट पर जीत दर्ज करना बड़ी बात थी क्योंकि 2012 के चुनाव में जहां भाजपा तीसरे स्थान पर थी वहीं 2012 के चुनाव में भाजपा को कुल मतदान का 10 फ़ीसदी वोट ही मिला था, जो 2017 के चुनाव में पहले नंबर पर पहुंच गई।
2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा इस सीट पर दोबारा जीत दर्ज करने की तैयारी में जुटी है, तो वहीं सपा 2017 की हार को जीत में बदलने के लिए पूरी तरह से जुटी हुई है। रानीगंज विधानसभा सीट ब्राह्मण बाहुल्य सीट है। यहां पर ब्राह्मण की आबादी किसी भी राजनीतिक दल के प्रत्याशी की जीत को तय करने का काम करती है। अभी तक 2012 और 2017 में इसी समुदाय से दोनों प्रत्याशियों की जीत हुई है।