नयी दिल्ली : ‘कहीं पर निगाहें, कहीं पर निशाना’ की तर्ज पर जनता दल-यूनाइटेड (जद-यू) ने शनिवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में 26 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया। केंद्र और बिहार में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ सत्ता में साझीदार जद-यू के इस दांव को दबाव की राजनीति के तौर पर देखा जा रहा है।
जद-यू महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि भाजपा से सीटों के बंटवारे पर वार्ता चल रही थी किंतु कोई निष्कर्ष नहीं निकल सका। जद-यू और भाजपा का गठबंधन राष्ट्रीय स्तर पर है, लेकिन भाजपा इसे केंद्र के साथ बिहार तक ही रखना चाहती है। ऐसी स्थिति में जद-यू ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है।
उम्मीदवारों के नाम घोषित करने के सवाल पर त्यागी ने कहा कि कई सीटें ऐसी हैं, जिन पर दो-तीन दावेदार हैं। प्रदेश अध्यक्ष अनूप सिंह पटेल आने वाले दिनों में चर्चा कर लखनऊ में प्रत्याशियों के नाम घोषित करेंगे।
जद-यू ने उत्तर प्रदेश में ऐसे समय में उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है, जब बिहार में विधान परिषद का चुनाव दहलीज पर है। इस चुनाव में भाजपा- जेडीयू बिहार विधान परिषद के लिए स्थानीय निकाय कोटे की रिक्त 24 में से अपनी सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारेंगी। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के तहत 13 सीटों पर भाजपा और 11 सीटों पर जद-यू के प्रत्याशी मैदान में होंगे।
बिहार भाजपा अध्यक्ष एवं सांसद डॉ. संजय जायसवाल और राज्य के उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद की गत शुक्रवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक के बाद भाजपा ने पिछली बार जीतने वाली अपनी सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारने का निर्णय लिया है।
सूत्र बताते हैं कि जद-यू विधान परिषद चुनाव में 11 से ज्यादा सीटों की इच्छा रखती है। साथ ही वह उन सीटों पर दावा कर रही है, जो फिलहाल भाजपा के कब्जे में हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश में उम्मीदवार उतारने की रणनीति को बिहार विधान परिषद चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है।