कोलकाता : कलकत्ता मेडिकल कॉलेज का एक आउटडोर विभाग दो डाक्टरों के भरोसे चल रहा है। ऑपरेशन के अलावा उन्हें आउटडोर का काम भी संभालना होता है। इन दिनों मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के बाल चिकित्सा सर्जरी विभाग की यही स्थिति है। इस कारण लोगों को काफी परेशानी हो रही है।
सूत्रों के अनुसार अस्पताल के अधिकारियों ने डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए स्वास्थ्य भवन में आवेदन किया है। 1946 में, भारत का पहला बाल चिकित्सा सर्जरी विभाग कलकत्ता मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में खोला गया था।
अस्पताल के सूत्रों के अनुसार यहां सेवानिवृत्ति और स्थानांतरण सहित विभिन्न कारणों से कलकत्ता मेडिकल कॉलेज के बाल शल्य चिकित्सा विभाग में डॉक्टरों की संख्या घटकर दो रह गई है। इनमें से एक विभागाध्यक्ष और दूसरे रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर (आरएमओ) हैं। अस्पताल के सूत्रों के मुताबिक दोनों को आउटडोर के साथ ही सर्जरी विभाग को भी संभालना पड़ता है।
इस बारे में कलकत्ता मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के प्रिंसिपल डॉ.आर.एन. मिश्र ने कहा कि अस्पताल में सभी विभागों के आउटडोर सही ढंग से चल रहे हैं, कहीं भी कोई परेशानी नहीं है। इसके अलावा किसी ने इस्तीफा भी नहीं दिया है।
एसोसिएशन ऑफ हेल्थ सर्विस डॉक्टर्स (एएचएसडी), वेस्ट बंगाल के महासचिव डॉ. मानस गुमटा ने कहा कि डॉक्टरों के इस्तीफे वाला मामला एक दिन की बात नहीं है। ऐसा पिछले पांच -सात साल से सरकारी अस्पतालों में हो रहा है। हम सटीक संख्या नहीं कह सकते। लेकिन संख्या बहुत बड़ी होनी चाहिए, नहीं तो ऐसा आदेश स्वास्थ्य विभाग क्यों जारी करेगा कि डॉक्टरों को नियम बताए जाएं? सिर्फ प्रोफेसर और डॉक्टर ही नहीं सभी संवर्गों में इस्तीफे की संख्या बढ़ रही है।
हमने इसे संगठनात्मक प्रशासन के संज्ञान में भी लाया है। इसे समझना होगा कि चिकित्सक भी इंसान हैं। उनके परिवार हैं। उन्हें व्यक्तिगत समस्या भी हो सकती है। इनमें से कोई भी बंधुआ मजदूर नहीं है। प्रशासन अकारण कुछ नहीं कर पाएगा, क्योंकि कोई भी एक महीने की नोटिस पर नौकरी छोड़ सकता है। प्रशासन को इस्तीफे के कारणों को खत्म करने का प्रयास करना चाहिए। अन्यथा चिकित्सा शिक्षा का नुकसान होगा।