पिता चाहते थे बेटा उनकी तरह बैरिस्टर बने। वेट लिफ्टिंग का शौक रखने वाला बेटा, खेल को जिंदगी बनाना चाहता था जो बर्लिन ओलंपिक का हिस्सा बनते-बनते रह गया।
न पिता का ख्वाब पूरा हुआ और न बेटे की चाहत, किस्मत ने कृष्ण निरंजन सिंह अर्थात केएन सिंह को अभिनय जगत तक पहुंचा दिया। आगे चलकर उन्होंने हिंदी फिल्मों में खलनायकी का अलग मुकाम हासिल किया। 1 सितंबर 1908 में देहरादून में पैदा हुए केएन सिंह की शुरुआती पढ़ाई लखनऊ में हुई थी।
सूट-बूट के साथ हैट पहने अभिजात्य दिखने वाला शख्स, जब अपनी बोलती आंखों से किसी को घूरता तो सिहरन पैदा कर देता था। धमकाने के लिए उसे चीखने-चिल्लाने की जरूरत नहीं पड़ी, उसकी आंखों ने ही काम कर दिया। पृथ्वीराज कपूर ने सबसे पहले केएन सिंह में एक अभिनेता को पहचान लिया था। 1936 में उन्होंने केएन सिंह को देवकी बोस से मिलवाया, जिन्होंने सबसे पहले फिल्म ‘सुनहरा संसार’ में मौका दिया।
केएन सिंह ने तकरीबन 250 फिल्मों में काम किया। इनमें ‘बरसात’, ‘आवारा’, ‘हाथी मेरे साथी’ ‘झूठा कहीं का’ ‘मेरे जीवन साथी’ ‘लोफर’ ‘मजबूर’, ‘अदालत’, ‘काला सोना’ जैसी कई यादगार फिल्में हैं। एक किस्सा मशहूर है कि फिल्म ‘आवारा’ रूस में खूब पसंद की गयी, जिसमें केएन सिंह ने अपने किरदार का डायलॉग खुद रूसी भाषा में डब किया था।
बदकिस्मती देखिये कि जिंदगी के आखिरी वर्षों में इस बेजोड़ अभिनेता की आंखें नहीं रहीं। मोतियाबिंद के मामूली ऑपरेशन में हुई गड़बड़ी के कारण उनकी दुनिया ही स्याह हो गयी, जिसे उन्होंने स्वीकार किया। 31 जनवरी 2000 में उनका निधन हो गया।
अन्य अहम घटनाएंः
1923ः परमवीर चक्र से सम्मानित मेजर सोमनाथ शर्मा का जन्म।
1934ः कई राज्यों में राज्यपाल रहीं कुमुदबेन जोशी का जन्म।
1961ः बिहार केसरी के नाम से मशहूर बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह का निधन।
1988ः जाने-माने तमिल साहित्यकार, पत्रकार और लेखक अकिलन का निधन।
2004ः जानी-मानी फिल्म अभिनेत्री व गायिका सुरैया का निधन।