कोलकाता : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्विटर पर राज्यपाल जगदीप धनखड़ को ब्लॉक कर दिया है। यह जानकारी खुद मुख्यमंत्री ने सोमवार को राज्य सचिवालय नवान्न में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान दी। ममता ने आरोप लगाया कि पेगासस राजभवन से चल रहा था।
प्रेसवार्ता के दौरान मुख्यमंत्री ममता ने कहा, ”आज मैं पहले ही माफी मांग रही हूं। वह मुझे और अधिकारियों को रोज टैग कर अपशब्द कहते थे। वह एक मनोनीत व्यक्ति के रूप में हमें सिर्फ आदेश देते हैं, सलाह नहीं। मुझे उनका ट्वीट अच्छा नहीं लगा। वे हमें नौकर, बंधुआ मजदूर समझते थे। मुझे मजबूरन उन्हें अपने ट्विटर अकाउंट से उन्हें ब्लॉक करना पड़ा।
ममता बनर्जी ने आगे कहा, ”मुझे उनके ट्वीट् देखकर हर दिन बुरा लगता था। वह ऐसी बातें कहते थे, जो नहीं कहनी चाहिए। वह अमानवीय बातें करते थे इसलिए मजबूरन मुझे ब्लॉक करना पड़ा। ममता ने कहा कि वह इस बारे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चार बार पत्र लिख चुकी हूं, कोई कार्रवाई नहीं की गई। वे हमारे अधिकारियों को डरा रहे हैं, बुला रहे हैं। यह पूरी तरह से असंवैधानिक कृत्य है। वह अब भी ऐसा कर रहे हैं। उन्हें सीधे धमकाया जाता है। इस तरह नहीं चल सकता। ममता बनर्जी ने कहा कि उन्होंने सुना है कि राज्यपाल अदालत से लेकर आयकर, कोलकाता सीपी, कोलकाता डीडी, डीएम, एसपी, मुख्य सचिव से लेकर सभी को डरा रहे हैं। ममता ने कहा, ”ऐसा नहीं चल सकता।’’
सीपीएम शासन का मुद्दा उठाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ज्योति बसु के समय में धर्मबीर को हटाने के लिए मजबूर किया गया था क्योंकि उन्होंने एक-दो फाइलें अटका दीं। हम पिछले डेढ़ साल से भुगत रहे हैं। राज्यपाल ने हमारी लोकायुक्त समिति के अध्यक्ष, अभी तक मानवाधिकार के सदस्यों में से एक भी फाइल को मंजूरी नहीं दी है। हावड़ा और बाली को अलग करने की फाइल को क्लियर नहीं किया गया। वह ऐसा क्यों कर रहे हैं? वह एक के बाद एक फाइल अटका रहे हैं।
राज्यपाल को जवाब देना सीएम का कर्तव्य
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा ट्विटर पर ब्लॉक किए जाने के बाद राज्यपाल ने ट्वीट किया कि, ‘अनुच्छेद 167 के तहत यह मुख्यमंत्री का संवैधानिक “कर्तव्य” है कि वह राज्य के मामलों के प्रशासन और कानून के प्रस्तावों से संबंधित ऐसी जानकारी प्रस्तुत करें जो राज्यपाल मांगें।’ राज्यपाल को अब दो साल के लिए सूचना “ब्लॉक” क्यों?’
उन्होंने एक और ट्वीट में कहा, “राज्यपाल, राज्य में यह सुनिश्चित करने के लिए होते हैं कि संविधान के अनुच्छेद 159 के तहत अनिवार्य है कि कोई भी संवैधानिक मानदंड और कानून के नियमों को “ब्लॉक” नहीं करे और जो अधिकार में हैं वे “भारत के संविधान के प्रति सच्ची आस्था और निष्ठा रखें।”
देर शाम राज्यपाल ने एक और ट्वीट कर बताया कि, ‘राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को आज उनके व्हाट्सएप पर संदेश भेजा, जिसे आज सुबह 10.25 बजे उनके द्वारा पढ़ा गया।
इसके साथ ही राज्यपाल ने एक संदेश लिखा कि –
“संवैधानिक पदाधिकारियों के बीच संवाद और सद्भाव लोकतंत्र का सार और भावना है और संविधान का जनादेश है।
यह आपसी सम्मान के साथ खिल सकता है।”