इतिहास के पन्नों मेंः 02 फरवरी – जो सेहत का अमृत जन-जन तक पहुंचाना चाहती थीं

प्रतिष्ठित टाइम मैगजीन ने पिछली सदी की सौ प्रभावशाली महिलाओं की सूची में भारत की जिन दो महिलाओं को जगह दी उसमें पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बाद राजकुमारी अमृत कौर का नाम शामिल किया गया था।

कपूरथला के राजसी परिवार से ताल्लुक रखने वाली राजकुमार अमृत कौर का व्यक्तित्व और कृतित्व इतना बड़ा है कि उसकी पूरी पहचान के लिए बहुपक्षीय नजरिये से देखना होगा- अव्वल तो राजसी परिवार से उनका ताल्लुक था, स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भागीदारी के साथ महात्मा गांधी की सचिव के रूप में 17 साल तक काम किया, संविधान सभा की सदस्य रहीं, महिला अधिकारों की प्रबल हिमायती, देश की पहली स्वास्थ्य मंत्री, एम्स जैसे जनोपयोगी चिकित्सा संस्थान की स्थापना में प्रमुख भूमिका निभायी।

राजकुमारी अमृत कौर का जन्म 2 फरवरी 1889 को लखनऊ में हुआ। उनके पिता राजा हरनाम सिंह पंजाब के कपूरथला के राजसी परिवार से थे। राजकुमारी ने इंग्लैंड के डोरसेट स्थित शेरबोर्न स्कूल फॉर गर्ल्स से पढ़ाई की। वे अपने स्कूल की बेहतरीन हॉकी खिलाड़ी थीं। उच्च शिक्षा ऑक्सफोर्ड युनिवर्सिटी में पाने के बाद 1918 में स्वदेश आ गयीं।

1919 में जलियांवाला बाग कांड ने देश के लाखों युवाओं की तरह उन्हें भी आंदोलित कर दिया। पिता हरनाम सिंह से मिलने के लिए कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानी घर आते थे। जलियांवाला बाग कांड के बाद महात्मा गांधी अमृतसर का दौरा करने के बाद जालंधर पहुंचे। कहते हैं कि यहीं राजकुमारी अमृत कौर पहली बार महात्मा गांधी से मिलीं और स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ने की इच्छा जतायी। गांधीजी उन्हें सेवाग्राम आश्रम ले गए।

राजकुमारी अमृत कौर राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़ गयीं और दांडी मार्च व भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जेल भी गयीं। उन्होंने 17 साल तक महात्मा गांधी की सचिव के तौर पर काम किया।

आजादी के बाद यूनाइटेड प्रोविंस में आने वाले हिमाचल प्रदेश की मंडी सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता और देश की पहली कैबिनेट हेल्थ मिनिस्टर बनीं। इसके साथ ही 10 वर्षों तक इस पद पर रहीं राजकुमारी कौर वर्ल्ड हेल्थ एसेंबली की प्रेसिडेंट भी बनीं। इस पद पर पहुंचने वाली एशिया की वे पहली महिला थीं।

स्वास्थ्य मंत्री रहते उन्होंने इंडियन काउंसिल ऑफ चाइल्ड वेलफेयर, ट्यूबरकुलोसिस एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सेंट्रल लिप्रोसी एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट जैसे संस्थानों की स्थापना में मुख्य भूमिका निभायी। उन्हें एम्स की स्थापना के लिए सबसे ज्यादा याद किया जाता है। इस संस्थान के लिए स्वास्थ्य मंत्री रहते राजकुमार अमृत कौर ने नेहरू सरकार में तमाम जरूरी कार्यवाहियों को पूरा किया बल्कि जब इसके लिए धन का संकट आया तो उन्होंने न्यूजीलैंड, जर्मनी, अमेरिका जैसे देशों से धन संग्रह की भी व्यवस्था की। बाद में शिमला का अपना पैतृक आवास भी उन्होंने एम्स को दान कर दिया जिससे कि वहां की नर्सें शिमला में अपनी छुट्टियां बिता सकें।

महान विदुषी और गांधीवादी नेत्री राजकुमारी अमृत कौर का 2 अक्टूबर 1964 को निधन हो गया। संयोग से इस दिन गांधी जयंती थी।

अन्य अहम घटनाएंः

1814ः कलकत्ता संग्रहालय की स्थापना।

1915ः जाने-माने लेखक और पत्रकार खुशवंत सिंह का जन्म।

1953ः अखिल भारतीय खादी ग्रामोद्योग बोर्ड का गठन।

1982ः राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया का निधन।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *