मारिचझांपी हत्याकांड पर भाजपा में मतभेद

कोलकाता : वर्ष 1979 के जनवरी महीने के अंत में पश्चिम बंगाल के सुंदरबन से सटे छोटे से द्वीप मारिचझांपी पर तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु सरकार की पुलिस और वामपंथी कार्यकर्ताओं द्वारा कथित तौर पर सैकड़ों शरणार्थियों को मौत के घाट उतारे जाने का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है।

नेता प्रतिपक्ष और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ विधायक शुभेंदु अधिकारी ने कहा है कि जब उनकी पार्टी सत्ता में आएगी तो इस हत्याकांड के दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसकी जांच के लिए एक आयोग का गठन किया जाएगा। उन्होंने ममता बनर्जी की सरकार पर इस वारदात में शामिल लोगों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं करने और घटना से मुंह मोड़ने का आरोप लगाया। दूसरी ओर पार्टी के अंदर ही प्रदेश नेतृत्व पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि शरणार्थी समुदाय की समस्याओं के समाधान के लिए प्रदेश भाजपा बहुत अधिक दिलचस्पी नहीं ले रही है।

दरअसल प्रदेश भाजपा ने इस हत्याकांड के विरोध में पश्चिम बंगाल में शरणार्थी हितों की रक्षा के लिए एक दिवसीय अभियान का आह्वान किया था। 31 जनवरी को पार्टी की प्रदेश महासचिव अग्निमित्र पाल, प्रदेश प्रवक्ता देवजीत सरकार, दो विधायक अशोक कीर्तनिया और अंबिका रॉय, डॉ. सुदीप दास के नेतृत्व में मारिचझांपी गए थे। राज्य में भाजपा की विभिन्न शाखाओं को भंग करने के बाद प्रदेश अध्यक्ष ने अभी तक इनका पुनर्गठन नहीं किया है।

बताया गया है कि नेतृत्व असमंजस में है। क्योंकि, वह पार्टी के अंदरखाने विरोध को दबाने की कोशिश कर रहा है। इसलिए नेतृत्व पुनर्गठन में ”धीरे चलो” की नीति अपनाना चाहता है। 2015 में, पार्टी की शरणार्थी शाखा का आधिकारिक रूप से गठन किया गया था। डॉ. मोहित रॉय शुरू से ही इसके प्रभारी रहे हैं। कई मायनों में, शरणार्थी आंदोलन में उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई है। अब पार्टी के अनुसूचित जाति मोर्चा को शरणार्थी मोर्चा की जिम्मेदारी दी गई है। इससे शरणार्थी शाखा के अधिकारी नाराज हैं।

जब मोहित से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं कम से कम ढाई दशक से शरणार्थियों के साथ काम कर रहा हूं। सीएए पर चर्चा के दौरान अमित शाह कलकत्ता आए थे। उन्होंने इस मुद्दे पर निजी और सार्वजनिक बयान दिया था। मैंने नेताजी इंडोर स्टेडियम में बैठक में उनसे बात की थी। मतुआ और मारिचझांपी जैसे संवेदनशील मुद्दों पर पिछले कुछ समय से अलग-अलग आंदोलन चल रहा है। पार्टी के कार्यक्रम के बारे में हमें बाद में मीडिया से पता चला। यह बहुत दु:खद और निराशाजनक है।

भाजपा के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष और पूर्व प्रदेश प्रवक्ता जयप्रकाश मजूमदार ने कहा कि मैंने देखा है कि मोहित ने पिछले दो दशकों से कैसे शरणार्थियों के साथ चुपचाप काम किया है। भाजपा का मुख्य वोट बैंक राजबंशी, मतुआ, आदिवासी सबसे ज्यादा शरणार्थी हैं। उनकी भावनाओं को समझने के लिए एक अनुभवी योजना की जरूरत है। जिन्होंने ईमानदारी से भाजपा को समृद्ध बनाने की कोशिश की है, उन्हें अपमानित किया जा रहा है। पार्टी का मौजूदा प्रदेश नेतृत्व राजनीति की मुख्यधारा से भटकते हुए लंबे समय से चले आ रहे कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर रहा है। इसकी कीमत पार्टी को चुकानी पड़ेगी।

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