इतिहास के पन्नों मेंः 09 मार्च – वाह उस्ताद

कहते हैं कि जाकिर हुसैन जब तीन साल के थे, उनके पिता उस्ताद अल्लारक्खा खान ने उन्हें पखावज का ककहरा सिखाना शुरू कर दिया था। अपने दौर के मशहूर तबला वादक उस्ताद अल्लारक्खा खान ने बालपन में ही अपने बेटे की मेधा को पहचान उसे संगीत की हरेक बारीकी सिखाई। संगीत में अदब का मर्म समझाया। उन्हें अपने साथ संगीत कार्यक्रमों में ले जाना शुरू कर दिया।

नतीजा जल्द सामने आ गया, जब 1973 में उनका पहला एलबम ‘लिविंग इन द मैटेरियल वर्ल्ड’ का जादू श्रोताओं के सिर चढ़कर बोला। अगले एक दशक के भीतर जाकिर हुसैन शागिर्द से उस्ताद तक का सफर पूरा कर चुके थे। उनकी शोहरत का सितारा बुलंदी पर था। 1987 में जाकिर हुसैन का पहला सोलो म्युजिक एल्बम ‘मेकिंग म्युजिक’ के नाम से रिलीज हुआ।

एक साल बाद 1988 में महज 37 साल की उम्र में जाकिर हुसैन को पद्मश्री सम्मान मिला। अबतक सबसे कम उम्र में पद्मश्री पाने वाली शख्सियत जाकिर हुसैन ही हैं। 2002 में उन्हें पद्मभूषण सम्मान से नवाजा गया।

अपने खास अंदाज़ के साथ जाकिर हुसैन ने तबले पर बेमिसाल हुनर का कमाल दिखाते हुए दुनिया भर के संगीत प्रेमियों को मुरीद बना लिया। इसी वजह से 1992 और 2009 में उन्हें संगीत का सबसे प्रतिष्ठित सम्मान ग्रैमी अवॉर्ड दो-दो बार मिला।

9 मार्च 1951 में महाराष्ट्र में पैदा हुए जाकिर हुसैन का बचपन मुंबई में बीता और वहीं से कॉलेज तक की शिक्षा ली। इसी दौरान 11 साल की उम्र में अमेरिका में उन्होंने अपना पहला कॉन्सर्ट किया और संगीत को करियर बनाने की दिशा में निकल चुके थे। आज भारत ही नहीं, दुनिया के विभिन्न हिस्सों में उस्ताद जाकिर हुसैन के ढेरों प्रशंसक हैं।

अन्य अहम घटनाएं:

1915ः हिंदी के प्रमुख समालोचक डॉ. नागेंद्र का जन्म।

1930ः दिग्गज अधिवक्ता सोली जहांगीर सोराबजी का जन्म।

1931ः जाने-माने भारतीय राजनीतिज्ञ डॉ. कर्ण सिंह का जन्म।

1938ः हिंदी के प्रतिष्ठित बाल साहित्यकार और संपादक हरिकृष्ण देवसरे का जन्म।

1971ः मशहूर निर्माता, निर्देशक और पटकथा लेखक के. आसिफ का निधन।

1994ः भारतीय सिनेमा की पहली नायिका देविका रानी का निधन।

2012ः फिल्म अभिनेता जॉय मुखर्जी का निधन।

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