बीरभूम नरसंहार पर हाईकोर्ट ने 24 घंटे में बंगाल सरकार से मांगी रिपोर्ट

Calcutta High Court

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में मंगलवार को हुए नरसंहार पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट तलब की है। कोर्ट ने घटनास्थल पर साक्ष्य की निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाने के निर्देश दिए। कोर्ट के अगले आदेश तक सीसीटीवी की रिकार्डिंग बंद नहीं की जानी चाहिए। मामले की अगली सुनवाई गुरुवार दोपहर दो बजे के लिए निर्धारित की गई है।

रामपुरहाट ब्लॉक अंतर्गत बगटुई गांव में आगजनी में कम से कम आठ लोगों की मौत की घटना पर मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजश्री भारद्वाज के खंडपीठ ने स्वत: संज्ञान लेकर बुधवार को दोपहर दो बजे सुनवाई की। महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि इस मामले में 20 लोगों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। मुख्य न्यायाधीश ने केंद्र सरकार के वकील से पूछा कि क्या अब आप सबूत जुटाना शुरू कर सकते हैं? केंद्र के वकील ने जवाब दिया कि राज्य सरकार ने कुछ सबूत जुटाए हैं। अगर अदालत आदेश देती है, तो केंद्रीय जांच एजेंसी आकर बाकी जानकारी एकत्र करेगी।

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता सौमेंद्र नाथ मुखर्जी ने पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि फोरेंसिक अधिकारियों के आने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन अन्य जांच एजेंसियों को आकर हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश ने सभी पक्षों के जवाब सुनने के बाद कहा कि राज्य गुरुवार को केस डायरी लेकर आए और कोई सबूत नहीं मिटने चाहिए। मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और राजर्षि भारद्वाज के खंडपीठ ने 24 घंटे के अंदर सरकार से रिपोर्ट तलब की है।

कोर्ट ने कहा कि जांच में तेजी लाकर सच्चाई को सामने लाया जाए। राज्य को मौका दिया जाएगा। जांच के साथ केस डायरी की रिपोर्ट कोर्ट में जमा करनी होती है। घटनास्थल से कोई भी साक्ष्य न मिटने पायें, इसके लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। कोर्ट के अगले आदेश तक सीसीटीवी की रिकार्डिंग बंद नहीं की जानी चाहिए। सीसीटीवी की निगरानी जिला अदालत के जज करेंगे। फोरेंसिक जांच के लिए सीएफएसएल, दिल्ली की टीम जल्द मौके पर पहुंचकर जानकारी जुटाए।

कोर्ट ने निर्देश दिया कि राज्य पुलिस के डीजी और आईजी को गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी। कोर्ट ने कहा कि उन्हें किसी भी तरह से धमकाया या डराया नहीं जा सकता, इसलिए बर्दवान के पूर्व जिला जज की निगरानी में गवाहों की सुरक्षा के आदेश दिए। कोर्ट ने कहा कि सभी शवों का पोस्टमॉर्टम किये जाने के समय वीडियोग्राफी कराई जाए।

अनिन्द्य दास नाम के एक अधिवक्ता ने भी इस मामले में जनहित याचिका दाखिल करके एनआईए अथवा सीबीआई से घटना की जांच करवाने की मांग की थी। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले में सीबीआई को पक्षकार बनाया जाएगा। वादी के अधिवक्ता ने कहा कि गोधरा कांड की याद ताजा हो गई। वहां भी ट्रेन में ऐसे ही निर्दोष लोगों को जला दिया गया था।

भाजपा नेता प्रियंका टिबड़ेवाल बुधवार को एसआईटी के प्रमुख ज्ञानवंत सिंह की भूमिका पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि उन्हें कुछ दिनों पहले मारे गए छात्र नेता अनीस खान की मौत मामले की जांच के लिए भी गठित की गई एसआईटी का प्रमुख बनाया गया था लेकिन उस मामले में कोई प्रगति नहीं है। इसके अलावा पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित रिजवानुर हत्याकांड में भी ज्ञानवंत सिंह कथित तौर पर संलिप्त रहे हैं और उन पर आज भी मुकदमा है। इसलिए उनके नेतृत्व में गठित एसआईटी से न्याय की उम्मीद नहीं की जा सकती। इसके अलावा एसआईटी के एक और सदस्य और पश्चिमांचल रेंज के आईजी संजय सिंह की भूमिका पर भी उन्होंने सवाल खड़ा करते हुए कहा कि चुनाव आयोग इन्हें हमेशा चुनाव के दौरान पद से हटाता है, क्योंकि इनकी प्रतिबद्धता सत्तारूढ़ पार्टी के प्रति अधिक रहती है।

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