कोलकाता : कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायामूर्ति अभिजीत गांगुली के सवाल उठाने के बाद स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) के जरिए शिक्षकों की नियुक्ति में धांधली सहित 10 मामलों से न्यायमूर्ति हरीश टंडन के खंडपीठ ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया है।
दरअसल, कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायामूर्ति अभिजीत गांगुली की ओर से न्यायमूर्ति हरीश टंडन की खंडपीठ पर नियुक्ति में धांधली संबंधित सीबीआई जांच के उनके हर आदेश पर स्टे लगाए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से हस्तक्षेप की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति गांगुली ने सवाल उठाया था कि आखिरकार भ्रष्टाचार की जांच संबंधी उनके हर एक फैसले पर क्यों स्टे लगाया जा रहा है। आखिर किसे फायदा पहुंचाने के लिए ऐसा हो रहा है।
सोमवार को न्यायमूर्ति हरीश टंडन और रवींद्रनाथ सामंत की खंडपीठ में एसएससी सहित 10 मामलों की सुनवाई होनी थी। सुबह सुनवाई की शुरुआत में ही न्यायमूर्ति टंडन ने कहा कि इन मामलों की सुनवाई अब वह नहीं करेंगे। उन्होंने साफ किया कि इसके पीछे व्यक्तिगत कारण है। खंडपीठ के इस निर्णय के बाद राजनीतिक गलियारों में सरगर्मी तेज हो गई हैं।
पश्चिम बंगाल सरकार ने शिक्षकों की नियुक्ति के लिए पांच सदस्यीय सलाहकार समिति का गठन शांति प्रसाद सिन्हा के नेतृत्व में किया है। आरोप है कि नियुक्ति पैनल की मियाद खत्म हो जाने के बावजूद सलाहकार समिति के सदस्यों ने 90 ऐसे लोगों की नियुक्ति की, जो पूरी तरह से अयोग्य थे। इसकी सीबीआई जांच के आदेश न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली ने दिए थे लेकिन न्यायमूर्ति हरीश टंडन के खंडपीठ ने गांगुली के सभी फैसलों पर रोक लगा दी थी।