कोलकाता : पश्चिम बंगाल में हाल में हुईं कई दिल दहलाने वाली घटनाओं की कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा सीबीआई जांच के आदेश देने पर राज्य की कानून व्यवस्था और पुलिस पर सवाल उठने लगे हैं। इन घटनाओं की कलकत्ता हाई कोर्ट के सीबीआई से जांच कराने के आदेश पर कानूनी विशेषज्ञ दिग्गज अधिवक्ता विकास रंजन भट्टाचार्य ने चिंता जाहिर की है।
दरअसल, लोगों का मानना है कि राज्य में बढ़ती घटनाओं की निष्पक्ष जांच के लिए राज्य पुलिस प्रशासन पर भरोसा कम हुआ है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले 19 दिन में 6 मामलों को लेकर लोग हाई कोर्ट पहुंचे और कोर्ट ने इन मामलों की जांच के लिए सीबीआई को जिम्मेदारी सौंपी। देश के किसी भी दूसरे राज्य में इसके पहले ऐसा कभी नहीं देखा गया। इस संबंध में माकपा के राज्यसभा सांसद और दिग्गज अधिवक्ता विकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा कि राज्य में जिन सुरक्षा एजेंसियों को जांच करनी चाहिए थी, वे पूरी तरह से विफल हो गई हैं और एक पार्टी के गुलाम की तरह काम कर रही हैं, इसलिए इस तरह के हालात बने हैं।
कोलकाता के पूर्व मेयर विकास रंजन भट्टाचार्य ने राज्य सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि आम जनता अपनी सुरक्षा के लिए राज्य सरकार के भरोसे रहती है लेकिन राज्य की सुरक्षा एजेंसियां निष्पक्षता से अपना काम नहीं कर पा रही हैं। पुलिस को जो करना चाहिए, उसमें वह पूरी तरह से विफल है इसीलिए लोग कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे हैं और गंभीर से गंभीर अपराध के मामलों में कोर्ट को राज्य प्रशासन को छोड़ सीबीआई जांच का आदेश देना पड़ा है जो राज्य कानून व्यवस्था की विफलता का प्रमाण है। तृणमूल समर्थकों की अराजकता का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अब तो जज को भी धमकाने की कोशिश हो रही है लेकिन वे इसमें सफल नहीं होंगे। भट्टाचार्य ने कहा कि बंगाल में एक के बाद एक मामलों की सीबीआई जांच के आदेश यहां ध्वस्त हो रही व्यवस्थाओं की कलई खोलने वाला है।
उल्लेखनीय है कि बंगाल में पिछले 20 दिन में 6 घटनाओं को लेकर दायर याचिकाओं पर हाई कोर्ट ने सीबीआई से जांच कराने के आदेश दिए हैं। मंगलवार को हाई कोर्ट ने बंगाल के नदिया जिले के हांसखाली में 14 साल की लड़की से कथित दुष्कर्म और हत्या के मामले की जांच भी सीबीआई को सौंप दी। कोर्ट ने खुद इस दुष्कर्म कांड की जांच की निगरानी करने की बात कही है। मंगलवार को ही हाई कोर्ट ने पुरुलिया जिले के झालदा में कांग्रेस पार्षद तपन कांदु हत्याकांड के मुख्य गवाह निरंजन वैष्णव की संदिग्ध परिस्थिति में मौत के मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। वैष्णव, मृतक कांग्रेस पार्षद तपन कांदु हत्याकांड के चश्मदीद गवाह और उनके करीबी सहयोगी थे। पेशे से शिक्षक वैष्णव का शव उनके घर से संदिग्ध परिस्थितियों में फांसी के फंदे से लटकते मिला था। मौके से एक सुसाइड नोट भी मिला था, जिसमें वैष्णव ने पुलिस पर उन्हें परेशान करने के गंभीर आरोप लगाए थे। इससे पहले हाई कोर्ट ने पिछले हफ्ते सोमवार को झालदा नगरपालिका के कांग्रेस पार्षद तपन कांदु की हत्या की सीबीआई जांच का आदेश दिया था। उससे 10 दिन पहले ही बीरभूम के रामपुरहाट में हुए नरसंहार की सीबीआई जांच के आदेश भी दिया जा चुके हैं। स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) नियुक्ति घोटाले से जुड़े एक मामले की भी सीबीआई जांच कर रहा है।
इसके अलावा एसएससी से जुड़े तीन मामलों की कलकत्ता हाई कोर्ट के एकल पीठ ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। इनमें से दो पर फिलहाल खंडपीठ का स्थगनादेश है। इसके अलावा बंगाल में विधानसभा चुनाव बाद हुई हिंसा और हल्दिया बंदरगाह पर रंगदारी वसूलने के एक मामले की भी केंद्रीय जांच एजेंसी जाँच कर रही है। बंगाल में यूं तो विभिन्न मामलों की सीबीआई जांच के आदेश दिए जा चुके हैं लेकिन हाल के महीनों में यह आंकड़ा तेजी से बढ़ा है। इससे पहले वाममोर्चा के शासनकाल में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के नोबेल पदक की चोरी, छोटा अंगारिया नरसंहार व नंदीग्राम में फायरिंग की घटना की सीबीआई जांच का आदेश दिया गया था। ममता सरकार में हुए बहुचर्चित सारधा चिटफंड घोटाले व नारदा स्टिंग आपरेशन कांड की भी सीबीआई जांच कर रहा है।