कोलकाता : तृणमूल सांसद एवं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने राज्य के बहुचर्चित शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार के मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट की एकल पीठ के फैसले के खिलाफ खंडपीठ में याचिका लगाई है। न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष की खंडपीठ में गुरुवार को उन्होंने याचिका लगाकर एकल पीठ के फैसले पर रोक लगाने की मांग की है।
दरअसल न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली की एकल पीठ ने नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में अभिषेक बनर्जी और इसी मामले में गिरफ्तार कुंतल घोष को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ का आदेश दिया था। इसके बाद इस मामले को न्यायमूर्ति गांगुली की एकल पीठ से जस्टिस अमृता सिन्हा की पीठ में ट्रांसफर कर दिया गया था। उन्होंने भी इस आदेश को बरकरार रखा था जिसके बाद गत 20 मई को सीबीआई ने अभिषेक बनर्जी से करीब 10 घंटे तक पूछताछ की थी। इसके बाद बनर्जी ने इस मामले से अपना नाम हटाने और पूछताछ पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था लेकिन उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया था कि इस मामले में हाईकोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगाई जाएगी। इसके बाद अब उन्होंने खंडपीठ में याचिका लगाई है।
दरअसल 29 मार्च को ब्रिगेड परेड मैदान में अपनी पार्टी की एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने दावा किया था कि चिटफंड मामले में गिरफ्तार किए गए तृणमूल नेता मदन मित्रा और अन्य पर उनका (अभिषेक बनर्जी का ) नाम लेने के लिए दबाव बनाया गया था। इसके बाद नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में जेल में बंद कुंतल ने एक दिन बाद ही दावा किया था कि सीबीआई उन पर अभिषेक का नाम लेने के लिए दबाव बना रही है।
इसे लेकर उसने जेल अधीक्षक के जरिए कोलकाता के हेस्टिंग्स थाने को पत्र भेजकर मामला दर्ज करने की मांग की थी। इसके खिलाफ सीबीआई ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी और कहा था कि केंद्रीय एजेंसी को बदनाम करने के लिए साजिश रची जा रही है। इसके बाद ही कुंतल और अभिषेक से पूछताछ करने का आदेश जारी किया गया था