आचार्य विष्णुकान्त शास्त्री स्मृति व्याख्यानमाला का आयोजन

कोलकाता : “मंदिर और मठ कोई कल्पना नहीं हैं वरन ये अपनी संस्कृति और सभ्यता के निर्माण स्थल है तथा ऊर्जा के केन्द्र है। मठों और मंदिरों को समझने के लिए मनुष्यता और अध्यात्म को समझना होगा। हमारा देश कभी शेरों का देश हुआ करता था लेकिन आज हमने अपनी संस्कृति और सभ्यता को विस्मृत कर इसे भेड़ो का देश बना दिया है। इन केन्द्रों को पुनर्जागृत करने का प्रयास करना होगा।”

ये उद्गार हैं श्री लालेश्वर महादेव मंदिर, शिव बाड़ी, बीकानेर के पूज्य स्वामी संवित् विमर्शानंद गिरि महाराज के, जो श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय द्वारा स्थानीय रथीन्द्र मंच सभागार में शनिवार 4 मई 2024 को आयोजित आचार्य विष्णुकान्त शास्त्री स्मृति व्याख्यानमाला समारोह के उन्नीसवें व्याख्यान के अंतर्गत “राष्ट्र निर्माण के आधार स्तम्भ हैं : मठ और मंदिर’ विषय पर बतौर अध्यक्ष बोल रहे थे।

प्रधान वक्ता एवं दीनदयाल शोध संस्थान, दिल्ली के प्रधान सचिव अतुल जैन ने कहा कि प्राचीन काल से मठ-मंदिर केवल देवालय नहीं है, यह एक भरा पूरा संसार है जहां श्रद्धा, भक्ति और विश्वास का महत्व है। ये हमारे सकारात्मक ऊर्जा के केन्द्र थे जहां से समग्र संयमित उपभोग की प्रेरणा मिलती थी तथा विविध गतिविधियों के माध्यम से जनजीवन में राष्ट्रीय चारित्र्य का निर्माण होता था।

कार्यक्रम के आरंभ में सुप्रसिद्ध गायिका इन्दु चांडक ने राम वंदना की प्रस्तुति दी। स्वागत भाषण दिया पुस्तकालय के अध्यक्ष महावीर बजाज ने तथा धन्यवाद ज्ञापन किया पुस्तकालय के मंत्री श्री बंशीधर शर्मा ने।

कार्यक्रम का कुशल संचालन विदुषी साहित्यकार डॉ. तारा दूगड़ ने किया। अन्य मंचस्थ थे प्रख्यात आयकर सलाहकार श्री सज्जन कुमार तुल्स्यान एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी। अतिथियों को अंग वस्त्र पहना कर स्वागत किया सर्वश्री सत्यप्रकाश राय, नन्दकुमार लढ़ा एवं अरुण प्रकाश मल्लावत ने।

समारोह में महावीर प्रसाद रावत, स्वप्न मुखर्जी, ईश्वरी प्रसाद टांटिया, सुशील राय, आचार्य राकेश पाण्डेय, राजगोपाल सुरेका, राजेन्द्र संचेती, शंकरलाल अग्रवाल, चंपालाल पारीक, दुर्गा व्यास, राजकुमार व्यास “काकू’, डॉ. कमल कुमार, घनश्याम चौरसिया, रविप्रताप सिंह, दयाशंकर मिश्र, सीताराम तिवाड़ी, शैलेष बागड़ी, पंकज चौधरी, अमित भालोटिया, राजीव शरण, अजय चौबे, वेदप्रकाश गुप्ता, डॉ. वसुमति डागा, अनिल ओझा “नीरद’, भंवरलाल मुंधड़ा, भानु प्रकाश मिश्र, संजय रस्तोगी, महेश मोदी, प्रभु दयाल पारीक, डॉ. दीक्षा गुप्ता, सुशीला चेनानी, संगीता नांगला, कविता शर्मा, महेश केड़िया, प्रदीप सूंटवाल, पंकज सिंघानिया, अनिल मल्लावत, पुरुषोत्तम तिवारी, यशवंत सिंह, तेज बहादुर सिंह, रामपुकार सिंह, सागरमल गुप्त, अशोक पुरोहित, मुल्तान पारीक आदि की गरिमामयी उपस्थिति से सभागार खचाखच भरा हुआ था।

कार्यक्रम को सफल बनाने में सर्वश्री मनोज काकड़ा, रामचन्द्र अग्रवाल, भागीरथ सारस्वत, श्रीमोहन तिवाड़ी एवं अरुण सिंह आदि सक्रिय थे।

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