कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घोषणा की है कि उनकी पार्टी राज्य में अकेले लोकसभा चुनाव लड़ेगी। इसके बाद उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने मोर्चा संभाल लिया है। पार्टी के एक नेता ने बताया है कि कांग्रेस ने सीट शेयरिंग को लेकर किस तरह तृणमूल कांग्रेस को दबाव में रखने की कोशिश की। सूत्रों ने बुधवार को दावा किया कि कांग्रेस ने बातचीत में देरी की और जमीनी हकीकत को समझे बिना सीट-बंटवारे पर अतर्कसंगत मांगें रखीं। उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस ‘पिछले दरवाजे से शिष्टाचार’ वार्ता करने के लिए तैयार है लेकिन कोई समझौता होने की उम्मीद बमुश्किल ही बची है।
तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी ने कांग्रेस को पश्चिम बंगाल में दो लोकसभा सीटों की पेशकश की थी और तीसरी सीट के लिए बातचीत को तैयार थी, बशर्ते कांग्रेस मेघालय और असम में तृणमूल कांग्रेस को सीट देने को सहमत हो जाती। तृणमूल कांग्रेस नेता ने कांग्रेस पर सीट-बंटवारे के लिए वार्ता में अनावश्यक देरी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले दो सप्ताह में कोई संवाद नहीं हुआ। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि कांग्रेस बंगाल की जमीनी स्थिति को जाने बिना सीटों की संख्या के लिहाज से अतर्कसंगत मांग रख रही है। तृणमूल कांग्रेस ने पिछले चुनावों के परिणामों के आधार पर सीट बंटवारे का फैसला करने का मंत्र सुझाया था।
एक अन्य नेता ने कहा कि कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के बयानों से भी बहुत नुकसान हुआ है जिन्होंने पिछले दिनों पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को अवसरवादी करार देते हुए कहा था कि कांग्रेस अपने दम पर चुनाव में उतरेगी।
तृणमूल कांग्रेस ने विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडी गठबंधन) छोड़ने की घोषणा नहीं की है, लेकिन पार्टी नेता ने कहा कि राज्य में कांग्रेस के साथ सीटों के बंटवारे पर समझौता होने की संभावना नहीं के बराबर है। तृणमूल कांग्रेस के नेता पश्चिम बंगाल में कल प्रवेश कर रही कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में भी शामिल नहीं हो रहे हैं, जबकि माकपा नेता इसमें भाग ले सकते हैं।
तृणमूल कांग्रेस के एक सूत्र ने दावा किया कि कांग्रेस ने उन्हें यात्रा में शामिल होने के लिए आमंत्रित नहीं किया है।