वायु सेना को एचएएल से 6 साल बाद मिलेगा पहला स्वदेशी तेजस एमके-2 फाइटर जेट

नयी दिल्ली : फ्रांसीसी लड़ाकू राफेल की ताकत वाला 4.5 जेनरेशन का मीडियम वेट फाइटर जेट स्वदेशी तेजस एमके-2 वायु सेना को 6 साल बाद मिलेगा। अमेरिका से जीई-414 इंजन का सौदा एक साल में होने की उम्मीद है और अनुबंध पर हस्ताक्षर होने के 3 साल बाद पहला ‘मेड इन इंडिया’ विमान रोल आउट हो जाएगा। भारत में ही जीई-414 इंजन बनने के बाद तेजस एमके-2 में स्वदेशी सामग्री 60 फीसदी से बढ़कर 75 प्रतिशत हो जाएगी।

भारत सरकार ने लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस मार्क-2 के 6 प्रोटोटाइप विमानों के निर्माण को मंजूरी दे दी है। अभी तक इंजन की अनुपलब्धता के कारण प्रोटोटाइप का निर्माण अटका हुआ था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पिछले अमेरिकी दौरे में जीई-414 विमान इंजन भारत में ही विकसित किये जाने का समझौता होने बाद एलसीए तेजस मार्क-2 के निर्माण का रास्ता साफ़ हो गया है। अमेरिकी कंपनी के साथ भारत में ही जीई-414 इंजन बनाने का अनुबंध एक साल में होने की उम्मीद है। इस पर एचएएल सीएमडी ने कहा है कि अनुबंध पर हस्ताक्षर होने के 3 साल बाद पहला ‘मेड इन इंडिया’ विमान रोल आउट हो जाएगा।

Advertisement
Advertisement

उन्होंने कहा कि पहला विमान रोल आउट होने के बाद तमाम तरह के परीक्षण होंगे, इसलिए तेजस मार्क-2 का उत्पादन होने और वायु सेना में शामिल होने में 6 साल का वक्त लगेगा। अभी फिलहाल तेजस एमके-1ए में 60 फीसदी स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन ‘मेड इन इंडिया’ जीई-414 जेट इंजन के बाद तेजस एमके-2 में स्वदेशी सामग्री बढ़कर 75 फीसदी हो जाएगी। भारतीय वायु सेना स्वदेशी शक्तिशाली लड़ाकू विमान तेजस मार्क-2 की डिजाइन को लगभग दो साल पहले ही मंजूरी दे चुकी है।

प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति ने पिछले साल 31 अगस्त को इस बहुप्रतीक्षित परियोजना को मंजूरी दी थी। इसके बाद इस साल के अंत तक स्वदेशी बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान तेजस मार्क-2 का प्रोटोटाइप आने की संभावना जताई गई थी, लेकिन इसके लिए इंजन फाइनल न होने से प्रोटोटाइप का विकास अधर में लटका था। अब अमेरिका से जीई-414 जेट इंजन का सौदा होने के बाद केंद्र सरकार ने एलसीए तेजस मार्क-2 के छह प्रोटोटाइप पर काम शुरू करने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। हालांकि अमेरिकी कांग्रेस से मंजूरी अभी भी लंबित है। इसके बावजूद इस सौदे को अमेरिकी सीनेट और प्रतिनिधि सभा दोनों से मंजूरी मिलने की उम्मीद है।

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) 15 साल या उससे अधिक की अवधि में लगभग 230 एलसीए मार्क-2 विमानों का निर्माण करेगा। एलसीए मार्क-2 कार्यक्रम से भारत की स्वदेशी एयरोस्पेस क्षमताओं को बढ़ावा मिलने के साथ ही वायु सेना का हवाई बेड़ा भी मजबूत होगा। भारतीय वायु सेना शुरुआत में 108 विमानों का ऑर्डर दे सकती है। बाद में इनकी अंतिम गिनती 230 हो सकती है, जिसके बाद 2030 तक भारत के हवाई बेड़े में लड़ाकू विमान शामिल होंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *