कोलकाता : शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की लापरवाही को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट ने जमकर फटकार लगाई है। न्यायमूर्ति जयमाल्य बागची और अजय कुमार गुप्त के खंडपीठ ने गुरुवार को नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में माध्यमिक शिक्षा परिषद के पूर्व अध्यक्ष कल्याणमय गांगुली की जमानत संबंधी याचिका पर सुनवाई हो रही थी। इस दौरान कोर्ट ने सीबीआई से पूछा कि गांगुली की नियुक्ति भ्रष्टाचार में क्या कुछ भूमिका है? इस पर केंद्रीय एजेंसी के अधिवक्ता बगले झांकने लगे। इसके अलावा सुनवाई के दौरान सीबीआई के जांच अधिकारी भी कोर्ट में मौजूद नहीं थे। मामले की जांच कहां तक हुई है और कल्याणमय की भूमिका के बारे में भी केंद्रीय एजेंसी ने स्पष्ट तौर पर कुछ भी लिखित में नहीं दिया था जिसे लेकर न्यायाधीश बागची खफा हो गए।
न्यायाधीश बागची ने केंद्रीय एजेंसी को फटकार लगाते हुए कहा कि इस मामले के जो न्यायाधीश (अभिजीत गांगुली) हैं उन्हीं के पास आप लोग जाइए। वही आपको समझाएंगे कि कैसे काम करना है। आपलोग कुछ नहीं कर रहे हैं। आपके जांच अधिकारी किधर हैं? आप यह भी नहीं बता पा रहे हैं इस व्यक्ति (कल्याणमय गांगुली) की भ्रष्टाचार में क्या कुछ भूमिका रही है। इसके महत्व को सीबीआई समझ ही नहीं रही है। जरूरी है कि जांच अधिकारी पहले आपस में बैठकर मामले को समझें। उसके बाद वकील को जानकारी दें। इसके बाद न्यायाधीश ने कहा कि आपके जैसे जांच अधिकारी से कोर्ट में आमना-सामना होना दुर्भाग्यजनक है। इसके बाद उन्होंने आगामी चार जनवरी तक मामले की सुनवाई स्थगित कर दी है।
उल्लेखनीय है कि गत 15 सितंबर को लंबी पूछताछ के बाद कल्याणमय गांगुली को गिरफ्तार कर लिया गया था। 2010 से 10 सालों तक वह माध्यमिक शिक्षा परिषद के चेयरमैन थे। आरोप है कि उन्हीं के अध्यक्ष रहते हुए माध्यमिक स्तर के शिक्षकों की नियुक्ति में बड़े पैमाने पर धांधली हुई। इस संबंध में गिरफ्तारी के बाद कल्याणमय ने हाई कोर्ट के खंडपीठ में जमानत की याचिका लगाई है। इसके पहले विशेष सीबीआई कोर्ट और उसके बाद हाईकोर्ट की एकल पीठ में उनकी जमानत याचिका खारिज हो चुकी है।