आरजी कर कांड के विरोध में एक और क्लब ने लौटाया दुर्गा पूजा अनुदान

कोलकाता : आरजी कर कांड के विरोध में एक और क्लब ने इस साल के लिए पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दिए गए दुर्गापूजा के अनुदान को अस्वीकार कर दिया है। इससे पहले हुगली के चार क्लबों ने भी सरकारी अनुदान न लेने का निर्णय लिया था। अब कोलकाता के गार्डनरीच स्थित मुदियाली हम कुछ लोग’ क्लब के संचालकों ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर यह घोषणा की।

क्लब के प्रमुख और कांग्रेस नेता मोहम्मद मोक्तार ने कहा कि यह फैसला आरजी कर अस्पताल में महिला चिकित्सक के साथ हुए अत्याचार और हत्या की घटना के विरोध में लिया गया है। उन्होंने मांग की कि पीड़िता को जल्द से जल्द न्याय मिलना चाहिए।

बयान में कहा गया, “हम इस वर्ष दुर्गापूजा के लिए पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दिए गए 85 हजार रुपये का अनुदान स्वीकार नहीं करेंगे। नौ अगस्त को आरजी कर अस्पताल में महिला चिकित्सक के साथ जो घटना हुई, उसके विरोध में यह फैसला लिया गया है। हर वर्ष हम मां दुर्गा के आगमन का इंतजार करते हैं, लेकिन इस बार सरकार 85 हजार रुपये अनुदान दे रही है और विसर्जन के लिए 10 लाख रुपये की बात कर रही है! हम आरजी कर की पीड़िता के लिए न्याय चाहते हैं।”

गार्डनरीच क्लब के अध्यक्ष मोहम्मद मोक्तार ने कहा, “आरजी कर अस्पताल में एक महिला चिकित्सक की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। हम इस घटना के विरोध में सरकार का दिया अनुदान ठुकरा रहे हैं।”

इससे पहले, हुगली के उत्तरपाड़ा के तीन क्लबों—महिलाओं का पूजा बौठान संघ, उत्तरपाड़ा शक्ति संघ, और आपनादेर दुर्गापूजा—ने भी सरकारी अनुदान न लेने का ऐलान किया था। इन क्लबों ने पहले ही जिला प्रशासन को पत्र लिखकर अपनी नाराजगी जाहिर की थी। इसके बाद हुगली के कोन्नगर के मास्टरपाड़ा सर्वजनिन दुर्गोत्सव समिति ने भी अनुदान ठुकराने का निर्णय लिया। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर विरोध के कारण अगले साल अनुदान नहीं मिलता है, तो भी उनकी पूजा रुकेगी नहीं।

उल्लेखनीय है कि तृणमूल सरकार हर साल दुर्गापूजा समितियों को आर्थिक सहायता देती है। शुरू में यह राशि 25 हजार रुपये थी, जिसे हर साल बढ़ाया जाता रहा है। पिछले साल यह राशि 70 हजार रुपये थी, और इस साल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे बढ़ाकर 85 हजार रुपये कर दिया है। उन्होंने यह भी घोषणा की है कि अगले साल इसे और बढ़ाया जाएगा। लेकिन आरजी कर की घटना के विरोध में अब राज्य के कई क्लब एक-एक करके इस अनुदान को अस्वीकार कर रहे हैं।

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