6 अप्रैल 1930 ऐसी यादगार तारीख है जब महात्मा गांधी ने मुट्ठी भर नमक उठा कर तत्कालीन ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ प्रतिरोध की नई लहर पैदा करते हुए कहा था कि वे ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिलाने जा रहे हैं।
ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों पर नमक उत्पादन और विक्रम पर भारी-भरकम कर लगा दिया था। किसी भी इंसान के लिए नमक की जरूरत को देखते हुए अंग्रेज सरकार द्वारा लादे गए इस कर ने लोगों की जिंदगी को बुरी तरह प्रभावित किया। इसके खिलाफ महात्मा गांधी ने 12 मार्च से 6 अप्रैल तक नमक सत्याग्रह चलाया।
इस सत्याग्रह की शुरुआत में गांधीजी सहित उनके 78 सहयोगियों ने अहमदाबाद साबरमती आश्रम से समुद्र तटीय गांव दांडी तक 390 किलोमीटर की पैदल यात्रा की। 12 मार्च को शुरू हुई ये यात्रा 24 दिनों तक अनवरत जारी रही। 06 अप्रैल 1930 की सुबह साढ़े छह बजे गांधीजी सहित उनके सहयोगियों द्वारा नमक कानून भंग करने के साथ यह यात्रा पूरी हुई।
इस दौरान हजारों की संख्या में दूसरे सत्याग्रही यात्रा में शामिल हो गए। महात्मा गांधी और उनके तमाम सहयोगियों को गिरफ्तार कर लिया गया। एक साल बाद महात्मा गांधी और उनके सहयोगियों की रिहाई हुई। गांधी-इरविन समझौते के साथ नमक आंदोलन समाप्त हुआ।