कोलकाता : चुनावी सरगर्मी के लिए बहुचर्चित पश्चिम बंगाल में मंगलवार को आसनसोल संसदीय और बालीगंज विधानसभा सीट पर वोटिंग होगी। यहां से कई दिग्गजों की किस्मत दांव पर लगी है। तृणमूल कांग्रेस ने जहां बालीगंज विधानसभा सीट पर आसनसोल से पूर्व सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे बाबुल सुप्रियो को टिकट दिया है वहीं आसनसोल से बॉलीवुड अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा पार्टी के उम्मीदवार हैं। सिन्हा के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी की लडाकू नेत्री अग्निमित्रा पॉल ताल ठोंक रही हैं तो बालीगंज में केया घोष ने बाबुल सुप्रियो को चुनौती दी है। पश्चिम बंगाल में पिछले साल संपन्न हुए विधानसभा चुनाव बीतने के बाद भाजपा लगातार हारती जा रही है इसीलिए इस चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन कैसा रहेगा, इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।
आसनसोल के मामले में, भाजपा की मुख्य चुनौती इस सीट को बरकरार रखना है। यहां से भाजपा के टिकट पर गायक से राजनेता बने बाबुल सुप्रियो 2014 में और 2019 में लगातार दो बार सांसद चुने जा चुके हैं। 2021 के बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद, सुप्रियो तृणमूल में शामिल हो गए और आसनसोल के सांसद के रूप में इस्तीफा भी दे दिया, जिससे उपचुनाव की आवश्यकता हुई। बालीगंज में बाबुल सुप्रियो को भाजपा ने केया घोष के अलावा माकपा की सायरा शाह हलीम से भी कड़ी चुनौती मिलने की उम्मीद है।
2019 के लोकसभा चुनावों में, सुप्रियो ने भाजपा उम्मीदवार के रूप में, तृणमूल उम्मीदवार और अभिनेत्री से राजनेता बनी मुनमुन सेन को एक लाख 97 हजार 637 मतों के बड़े अंतर से हराया और कुल मतों का 51.56 प्रतिशत हासिल किया था। 2014 में, सुप्रियो की जीत का अंतर 70 हजार 480 वोटों का था।
आम तौर पर बंगाल में रिकार्ड के अनुसार, सत्तारूढ़ पार्टी हमेशा किसी भी उपचुनाव में लाभप्रद स्थिति में रहती है। इसलिए, यह माना जा सकता है कि आसनसोल का मुकाबला तृणमूल और भाजपा दोनों के लिए कड़ा होने वाला है।
बालीगंज विधानसभा क्षेत्र के उपचुनावों के संबंध में, तृणमूल कांग्रेस की मुख्य चुनौती पूर्व विधायक और राज्य के पूर्व पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी द्वारा बनाए गए वोटों के अंतर को बरकरार रखना होगा। वह भी 70 हजार से अधिक वोटों से पिछले साल जीते थे। उस समय, मुखर्जी ने कुल मतदान का 70.50 प्रतिशत वोट हासिल किया था। पिछले साल नवंबर में मुखर्जी के आकस्मिक निधन के कारण उपचुनाव कराना पड़ा था। बालीगंज और आसनसोल से माकपा उम्मीदवार सायरा शाह हलीम और पार्थ मुखर्जी के लिए भी एक छोटी सी चुनौती है। सबसे बड़ी बात यह है कि विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में हुए हर एक मतदान में माकपा दूसरे नंबर पर रही है। इस लिए तृणमूल और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर में अपनी जगह बना पाना पार्टी के लिए बड़ी बात होगी।
बालीगंज में 100 फीसद और आसनसोल में 51 फीसद बूथों पर वेबकास्टिंग के साथ कड़ी सुरक्षा और कवरेज के बीच मंगलवार को उपचुनाव कराए जाएंगे। बालीगंज विधानसभा क्षेत्र में कुल 300 बूथ हैं, जबकि आसनसोल लोकसभा क्षेत्र में यह संख्या दो हजार 102 है। बालीगंज में कुल 23 बूथों को संवेदनशील घोषित किया गया है। आसनसोल में चिन्हित संवेदनशील बूथों की संख्या 680 है। बालीगंज में जहां 40 माइक्रो आब्जर्वर हैं, वहीं आसनसोल के मामले में यह संख्या 442 है। उपचुनाव के लिए केंद्रीय सशस्त्र बलों की कुल 133 कंपनियों को तैनात किया गया है, जिनमें से 116 कंपनियां आसनसोल के लिए और शेष 17 कंपनियां बालीगंज के लिए तैनात की जाएंगी। उपचुनाव के नतीजे 16 अप्रैल को घोषित किए जाएंगे।