इतिहास के पन्नों में 18 अगस्तः भक्त हृदय गायक का जन्म

18 अगस्त 1872 को भारतीय शास्त्रीय संगीत की विशिष्ट मेधा और भक्त हृदय गायक पंडित विष्णु दिगंबर पलुस्कर (वीडी पलुस्कर) का जन्म हुआ। भारतीय संगीत में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले वीडी पलुस्कर ने तुलसी, सूर, मीरा और नानक जैसे संत कवियों की पंक्तियों को रागों से बांधा।

पटाखे से हुए एक हादसे में आंखों की रोशनी खो देने वाले महाराष्ट्र के इस महान संगीत साधक ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान गांधीजी सहित दूसरे राष्ट्रीय नेताओं के मंचों पर रामधुन का गायन कर शास्त्रीय संगीत को जन-जन में लोकप्रिय बनाने का अथक प्रयास किया। पलुस्कर ने ग्वालियर घराने के पंडित बालकृष्ण से मिरज में संगीत की शिक्षा ली थी। हालांकि 12 वर्षों की शिक्षा के बाद गुरु से उनका संबंध खराब हो गया।

पलुस्कर ने इसी मोहभंग की स्थिति में भारतीय संगीत के उद्धार का संकल्प लेते हुए बड़ौदा, लाहौर की यात्राएं की। उन्होंने धनोपार्जन के लिए कई जगहों पर संगीत के सार्वजनिक कार्यक्रम किए। वे संभवतः पहले ऐसे गायक हैं जिन्होंने शास्त्रीय संगीत के सार्वजनिक आयोजन किए। पलुस्कर इसी दौरान मथुरा आए और शास्त्रीय संगीत की बंदिशें समझने के लिए ब्रजभाषा सीखी। अधिकांश बंदिशें ब्रजभाषा में लिखी हैं। मथुरा में उन्होंने गायन की ध्रुपद शैली भी सीखी।

1901 में उन्होंने लाहौर में गान्धर्व विद्यालय की स्थापना की। अपने समय की तमाम धुनों की स्वर लिपियों को संग्रहित कर अगली पीढ़ी तक उन्हें पहुंचाने का उल्लेखनीय कार्य किया। उन्होंने तीन खंडों में संगीत बाल प्रकाश नामक पुस्तक और 18 खंडों में रागों की स्वरलिपियों को संग्रहित किया। 21 अगस्त 1931 को इस महान संगीत साधन का निधन हो गया।

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