विश्व इतिहास में 25 अगस्त की तारीख तमाम अहम घटनाओं और परिवर्तन की वजह से दर्ज है। मगर यह तारीख टेलिस्कोप के इतिहास में मील का पत्थर है। गैलीलियो गैलिली की इस टेलिस्कोप ने दुनिया के ब्रह्मांड को देखने का तरीका बदल दिया। गैलीलियो गैलिली को फादर ऑफ मॉडर्न फिजिक्स भी कहा जाता है। इटली में 15 फरवरी, 1564 को जन्मे गैलिली ने पिसा यूनिवर्सिटी से मेडिसिन की पढ़ाई की, लेकिन उनका मन तो गणित में लगता था। इसलिए अपने पिता की इच्छा के खिलाफ उन्होंने गणित में ही करियर बनाने की ठानी। हालांकि गैलीलियो ने पढ़ाई पूरी किए बिना ही यूनिवर्सिटी छोड़ दी और गणित और फिलॉसफी पढ़ाने लगे।
अगले दो दशकों तक वे गति और वजन मापने की छोटी इकाई पर काम करते रहे। इस दौरान अपने काम की वजह से गैलीलियो प्रसिद्ध होने लगे। उन्हें यूनिवर्सिटी में बतौर गेस्ट लेक्चरर बुलाया जाने लगा। इसके बाद वे यूनिवर्सिटी ऑफ पिसा में प्रोफेसर नियुक्त कर दिए गए और कुछ साल बाद यूनिवर्सिटी ऑफ पदुआ में भी पढ़ाने लगे। साल 1609 में उन्हें सूचना मिली कि नीदरलैंड में टेलिस्कोप का आविष्कार हो गया है। इस टेलिस्कोप को हेंस लिपरशी ने बनाया था। इसके बाद गैलीलियो भी टेलिस्कोप बनाने में जुट गए। उन्होंने हेंस लिपरशी के टेलिस्कोप से भी ज्यादा शक्तिशाली टेलिस्कोप बना दिया। पहला टेलिस्कोप किसी भी वस्तु को तीन गुना तक ज्यादा बड़ा दिखा सकता था। उन्होंने लेंस के कॉम्बिनेशन में बदलाव करते हुए इसकी शक्ति को आठ गुना तक बढ़ा दिया।
25 अगस्त, 1609 को इस टेलिस्कोप को वेनिस की सीनेट सदस्यों के सामने पेश किया गया। सीनेट के सदस्यों ने एक घंटाघर से टेलिस्कोप के जरिए दूर-दूर की चीजों को देखा। सबसे पहले 35 मील दूर टॉवर ऑफ सेंट गिस्टीना को टेलिस्कोप के जरिए देखा गया। फिर टेलिस्कोप को घुमाते हुए पश्चिम में ट्रेविसो और दक्षिण में कोनिग्लियानो शहर को देखा गया। कोनिग्लियानो शहर 50 मील दूर था।
इसके बाद टेलिस्कोप को 50 मील से भी ज्यादा दूर मुरानो शहर की ओर घुमाया गया। यहां पर सीनेट सदस्यों ने देखा कि सेन गियाकोमो चर्च में एक व्यक्ति प्रार्थना करने जा रहा है। मीलों दूर की चीजें साफ-साफ देखकर सीनेट सदस्य दंग रह गए। वे इतने खुश हुए कि उन्होंने गैलीलियो की सेलरी दोगुना कर दी।
इसके बाद गैलीलियो अपने टेलिस्कोप के जरिए ग्रहों और ब्रह्मांड की स्टडी की। उन्होंने टेलिस्कोप की मदद से चांद, सूरज, बृहस्पति और शुक्र ग्रह का बारीकी से अध्ययन किया। इस स्टडी के आधार पर उन्होंने 1610 में ‘स्टारी मैसेंजर’ किताब लिखी। इस किताब में ब्रह्मांड के नए-नए पहलुओं को पहली बार दुनिया के सामने रखा। उन्होंने खुलासा किया कि चांद की सतह समतल न होकर उबड़-खाबड़ है, बृहस्पति ग्रह का अपना अलग चांद है और चांद के अलग-अलग फेज हैं, जो बदलते रहते हैं।
गैलीलियो जीवन पर्यंत ब्रह्मांड का अध्ययन करते रहे। उन्होंने कहा कि पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है। इस वजह से चर्च ने उन पर विधर्मी होने का मुकदमा चलाया और उन्हें नजरबंद कर दिया गया। अपनी मौत तक गैलीलियो नजरबंद रहे।