कोलकाता : पश्चिम बंगाल में चल रहे पंचायत चुनाव के दौरान विपक्षी उम्मीदवारों के नामांकन दस्तावेजों से छेड़छाड़ संबंधी मामले की सीबीआई जांच पर कलकत्ता हाईकोर्ट की खंडपीठ ने रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा की एकल पीठ ने हावड़ा के उलूबेरिया एक नंबर ब्लाक के बीडीओ के खिलाफ सीबीआई जांच का आदेश दिया था। आरोप लगे थे कि उन्होंने विपक्षी उम्मीदवारों के नामांकन दस्तावेजों से छेड़छाड़ की थी। इसके खिलाफ राज्य सरकार खंडपीठ गई थी। न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने उस आदेश पर रोक लगाते हुए स्पष्ट किया है कि सेवानिवृत्त न्यायाधीश देवी प्रसाद दे की निगरानी में राज्य पुलिस जांच करेगी। खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में सीबीआई जांच की कोई जरूरत नहीं है। इसके साथ ही खंडपीठ ने यह भी कहा कि राज्य पुलिस जांच कर तीन सप्ताह के भीतर इस संबंध में न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा की एकल पीठ में रिपोर्ट पेश करे।
उल्लेखनीय है कि उलूबेरिया ही नहीं मुर्शिदाबाद और कई अन्य जिलों के बीडीओ पर विपक्षी माकपा, कांग्रेस, भाजपा और आईएसएफ उम्मीदवारों के नामांकन दस्तावेजों से छेड़छाड़ के आरोप लगे थे। दावा है कि उनका नामांकन रद्द करवाने के लिए दस्तावेजों में हेरफेर किया गया था। ऐसा करने का आरोप स्थानीय बीडीओ पर लगा था। इसी मामले में न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा ने कहा था कि चूंकि मामला राज्य सरकार के अधिकारियों से ही संबंधित है इसलिए राज्य पुलिस की जांच पर भरोसा नहीं कर सकते। उन्होंने सीबीआई को तत्काल जांच शुरू करने को कहा था जिसके खिलाफ राज्य सरकार खंडपीठ गई थी।