कोलकाता : पश्चिम मेदिनीपुर के कांथी इलाके में एक नाबालिग से दुष्कर्म के अभियुक्त तृणमूल छात्र नेता की गिरफ्तारी संबंधी कलकत्ता हाईकोर्ट के एकल पीठ के फैसले पर हस्तक्षेप करने से खंडपीठ ने इनकार कर दिया है। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और राजर्षि भारद्वाज के खंडपीठ ने स्पष्ट कर दिया कि कोर्ट ने अभियुक्त की गिरफ्तारी अथवा जल्द से जल्द आत्मसमर्पण करने का जो आदेश दिया है, वह बिल्कुल सटीक है। इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा। हालांकि खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि अभियुक्त अगर चाहे तो एकल पीठ में ही पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकता है। न्यायमूर्ति राज शेखर मंथा के एकल पीठ ने उसकी गिरफ्तारी का आदेश दिया था। इस संबंध में कोर्ट ने थाना प्रभारी को फटकार भी लगाई थी और तत्काल कार्रवाई का आदेश दिया था। अभियुक्त तृणमूल नेता का नाम शुभदीप गिरी है। गत 25 जनवरी को उसने खंडपीठ में याचिका लगाई थी।
24 जनवरी को सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति मंथा ने थाने की जांच अधिकारी रूमा मंडल को उनकी निष्क्रियता के लिए फटकार लगाई थी और कार्रवाई के आदेश दिए थे। इसके साथ ही उन्होंने शुभदीप के अधिवक्ता को भी फटकार लगाते हुए कहा था कि जब कोर्ट ने उसे गिरफ्तार करने का आदेश दिया है तो उसकी जमानत के लिए निचली अदालत में याचिका क्यों लगाई जा रही है?
दरअसल गत 10 जनवरी को कांथी थाने में लिखित शिकायत दर्ज हुई थी। पीड़िता के माँ-बाप ने दावा किया है कि शिकायत के बावजूद पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की जिसके बाद 19 जनवरी को उन्होंने कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी जिस पर न्यायाधीश ने तुरंत पुलिस को अभियुक्त को गिरफ्तार करने के आदेश दिए थे। पीड़ित परिवार का आरोप है कि शुभदीप ने उनकी बेटी से शादी का प्रलोभन देकर कई बार शारीरिक संबंध बनाए। इसके अलावा उसकी अंतरग तस्वीरें भी मोबाइल में खींच ली। बाद में शुभदीप शादी के लिए तैयार नहीं हुआ जिसके बाद पीड़िता ने वे सारी तस्वीरें मोबाइल से डिलीट करने को कहा। गत 14 अक्टूबर को शुभदीप ने अपनी प्रेमिका को बुलाया था और आश्वस्त किया था कि वह तस्वीरें मिटा देगा। इसी का भरोसा देकर वह उसे दीघा के एक होटल में ले गया। वहां एक बार फिर उसने कथित तौर पर लड़की के साथ दुष्कर्म किया। उसके बाद गत एक नवंबर को पीड़िता ने खुदकुशी की कोशिश की। उसके बाद पीड़ित परिवार ने असुरक्षा की आशंका जाहिर की और पुलिस के पास शिकायत की जिसके बाद भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। तब निचली अदालत का रुख किया गया। वहां से पीड़ित परिवार को सुरक्षा देने को कहा गया लेकिन केवल एक कॉन्स्टेबल की तैनाती उनके घर के बाहर कर दी गई। बावजूद इसके पीड़ित परिवार के घर लगातार पत्थरबाजी होती रही। यहां तक कि अभियुक्त पुलिस की मौजूदगी में घर आकर धमकी देकर गया था। तब 10 जनवरी को नए सिरे से पीड़ित परिवार ने थाने में शिकायत दर्ज कराई लेकिन तमाम कागजी दस्तावेजों और कोर्ट के आदेश के बावजूद प्रशासन की हिम्मत अभियुक्त नेता को गिरफ्तार करने की नहीं हो रही।