कोलकाता : पश्चिम बंगाल में प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) में लगातार लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों के मद्देनजर राज्य सरकार ने ऑडिट कराने का निर्णय लिया है। पश्चिम बंगाल वित्त विभाग के सूत्रों ने बताया है कि वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान योजना के क्रियान्वयन की पूरी ऑडिट की जाएगी। आज ही तृणमूल सांसद देव अधिकारी के भाई ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री आवास योजना में उनका नाम आने के बावजूद उन्हें फंड नहीं मिला और मंत्री शिउली साहा ने रुपये देने के लिए दबाव बनाया।
इस बीच राज्य सचिवालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) द्वारा अप्रूव की गई ऑडिट इकाई के माध्यम से यह ऑडिट करवाया जाएगा। राज्य के सभी 345 ब्लॉक में ऑडिट का काम होगा। उक्त अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार ने फिलहाल प्रधानमंत्री आवास योजना का फंड रोक रखा है। इसलिए राज्य सरकार ने खुद ही यह पहल की है ताकि यह साबित किया जा सके कि सरकार का इरादा कहीं भी योजना के क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना नहीं है। वहीं, इससे उन आरोपों पर भी विराम लगेगा कि राज्य सरकार राज्य में केंद्र प्रायोजित विभिन्न योजनाओं के ऑडिट से बच रही है।
अधिकारी ने कहा कि ऑडिट प्राक्रिया से राज्य सरकार को एक मजबूत तर्क मिलेगा जिससे वाहक केंद्र सरकार को इस योजना के लिए केंद्रीय धन जारी करने के लिए कह सकेगी। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने पहले ही योजना के कार्यान्वयन की समीक्षा के लिए कई केंद्रीय क्षेत्र निरीक्षण दलों को पश्चिम बंगाल भेजा है। इन टीमों ने विभिन्न जिलों का दौरा भी किया है और अपने फील्ड निरीक्षण के तहत स्थानीय लोगों से बात की है। राज्य सरकार ने हाल ही में पीएमएवाई योजना के तहत आवंटन में किसी भी तरह की अनियमितता को दूर करने के लिए प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों का विवरण देते हुए केंद्र को एक कार्रवाई रिपोर्ट भेजी है। हालांकि बंगाल पहुंची केंद्रीय टीम ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा था कि बंगाल में योजना का ना केवल नाम बदला गया बल्कि इसके क्रियान्वयन में भी बड़े पैमाने पर धांधली हुई है। इसलिए राज्य सरकार का यह ऑडिट कितना कारगर होगा। यह देखने वाली बात होगी।