कोलकाता : पश्चिम बंगाल भाजपा इकाई ने गुरुवार को महिला डॉक्टर की हत्या और दुष्कर्म के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए स्वास्थ्य भवन की ओर मार्च किया।
भाजपा का यह विरोध मार्च स्वास्थ्य भवन, जो कि राज्य स्वास्थ्य विभाग का मुख्यालय है, की ओर दोपहर को हाडको क्रॉसिंग से शुरू हुआ। इसमें भाजपा के सभी दिग्गज नेता शामिल हुए। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष, नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी, भाजपा विधायक अग्निमित्र पॉल, अर्जुन सिंह समेत अन्य नेताओं ने रैली में मार्च किया। इन्हें हिरासत में लेने के लिए पुलिस लगातार घेराबंदी करती रही लेकिन कार्यकर्ताओं ने पुलिस के साथ जमकर धक्का मुक्की की। स्वास्थ्य भवन से चार किलोमीटर दूर से ही पुलिस ने रोकने की कोशिशें शुरू कर दी लेकिन रोक नहीं पाए और भाजपा के प्रदर्शनकारी स्वास्थ्य भवन के करीब पहुंच गए।
भाजपा नेता दिलीप घोष ने इस मौके पर कहा कि हम सच को सामने लाना चाहते हैं और न्याय चाहते हैं। राज्य सरकार और राज्य स्वास्थ्य विभाग सच्चाई को छिपाने का प्रयास कर रहे हैं। राज्य स्वास्थ्य विभाग और आर. जी. कर अस्पताल ने सबूत मिटाने की कोशिश की है।
सड़कों पर “हमें न्याय चाहिए” के नारे गूंज उठे, जो हर कोने से महिलाओं के सामूहिक गुस्से और दुख को प्रतिबिंबित कर रहे थे। पार्टी कार्यकर्ता, जिनमें महिलाएं भी शामिल थीं, एक साथ मार्च करते हुए महिलाओं के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने और जवाबदेही की मांग कर रहे थे।
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को स्वास्थ्य भवन तक पहुंचने से रोकने के लिए साल्ट लेक स्थित इंदिरा भवन के पास बैरिकेड्स लगा दिए थे। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि ममता बनर्जी को इस्तीफा देना होगा। यह घटना पूरी तरह से उनकी विफलता को बता रहा है। पुलिस ने शुभेंदु अधिकारी, समिक भट्टाचार्य, दिलीप घोष, अर्जुन सिंह समेत अन्य नेताओं को हिरासत में लिया है। शुभेंदु की गिरफ्तारी पर सवाल खड़ा करते हुए समिक भट्टाचार्य ने कहा कि वह नेता प्रतिपक्ष हैं। यह एक संवैधानिक पद होता है और उन्हें इस तरह गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।
नौ अगस्त को, एक युवा महिला डॉक्टर का शव मिला था। आरोप है कि उसकी ड्यूटी के दौरान दुष्कर्म और हत्या की गई थी, जिसके चलते अगले दिन कोलकाता पुलिस ने एक नागरिक स्वयंसेवक को गिरफ्तार किया। इसके बाद, 13 अगस्त को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने इस मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने का आदेश दिया, और सीबीआई ने 14 अगस्त से जांच शुरू कर दी।