कोलकाता : भाजपा के लोकसभा सदस्य निशिकांत दुबे द्वारा संसद में मालदा, मुर्शिदाबाद, अररिया, किशनगंज, कटिहार जिले और संथाल परगना क्षेत्र को मिलाकर नया केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग पर पश्चिम बंगाल के एक भाजपा विधायक ने शुक्रवार को बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि यह मांग नई नहीं है। उन्होंने अगस्त 2022 में ही इस मुद्दे को उठाया था।
मुर्शिदाबाद विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायक गौरी शंकर घोष के मुताबिक 2 अगस्त 2022 को उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के कार्यालयों को पत्र भेजा था, जिसमें उस समय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा मुर्शिदाबाद जिले को तीन हिस्सों में विभाजित करने और ऐतिहासिक “मुर्शिदाबाद” का नाम हटाने की घोषणा का विरोध किया गया था।
घोष ने कहा कि 2022 में उनकी केंद्र शासित प्रदेश की मांग को अब लोकसभा में निशिकांत दुबे ने सही ठहराया है। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा, “उस समय मैंने केंद्रीय गृह मंत्रालय को मालदा और मुर्शिदाबाद में हो रही अवैध घुसपैठ के बारे में सतर्क किया था, जो देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती है। बांग्लादेश से मालदा और मुर्शिदाबाद के जरिए अवैध घुसपैठ को प्रोत्साहित किया जा रहा है। स्थानीय प्रशासन इस घुसपैठ को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा है। इसलिए उस समय मैंने बिहार, मालदा और मुर्शिदाबाद के हिस्सों को अलग कर एक नया केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग उठाई थी।”
घोष ने यह भी कहा कि अब जब निशिकांत दुबे ने लोकसभा में वही मांग उठाई है, तो उन्हें विश्वास है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार करेगा।
गौरतलब है कि हाल ही में संपन्न चुनावों में घोष मुर्शिदाबाद लोकसभा क्षेत्र से पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े थे, लेकिन वे हार गए।
तृणमूल कांग्रेस के नेतृत्व ने दावा किया है कि भाजपा के लोकसभा सदस्य और पार्टी विधायक की ये मांगें पश्चिम बंगाल को विभाजित करने की उनकी पार्टी की मंशा का ही प्रदर्शन हैं।