कोलकाता : पिछले सप्ताह कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज में जूनियर महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या मामले पर पूरे देश में आक्रोश के बीच कलकत्ता हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने मंगलवार को मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल पद से सोमवार को इस्तीफा देने वाले संदीप घोष की राज्य के किसी भी मेडिकल कॉलेज में नियुक्ति पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है।
हाई कोर्ट की एक डिवीजन बेंच में जस्टिस टीएस शिवगणनम और जस्टिस हिरणमय भट्टाचार्य ने मंगलवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए अस्पताल प्रशासन की भूमिका पर भी कई सवाल उठाए। डिवीजन बेंच ने पहले ही राज्य स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिया था कि वह मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल संदीप घोष को तत्काल प्रभाव से स्वैच्छिक अवकाश पर जाने के लिए कहे। इसके बाद संदीप ने सोमवार को मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल पद से इस्तीफा दे दिया था। आज
हाई कोर्ट ने राज्य स्वास्थ्य विभाग को स्पष्ट निर्देश दिया है कि अगले आदेश तक उनकी नियुक्ति राज्य के किसी भी मेडिकल कॉलेज में न की जाए।
दरअसल, मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्राचार्य पद से इस्तीफा देने के कुछ ही घंटों बाद घोष को कोलकाता नेशनल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल का प्राचार्य नियुक्त किया गया था। इससे कॉलेज के मेडिकल छात्रों और जूनियर डॉक्टरों में विरोध भड़क गया। इस पर कोर्ट ने कहा, “प्राचार्य सभी डॉक्टरों का अभिभावक होता है… अगर वह सहानुभूति नहीं दिखाएगा तो कौन दिखाएगा? उसे घर पर रहना चाहिए, न कि कहीं भी काम करना चाहिए। अगर प्राचार्य ने ‘नैतिक जिम्मेदारी’ का हवाला देकर इस्तीफा दिया है तो यह एक गंभीर मामला है कि उसे 12 घंटे के भीतर एक और नियुक्ति के साथ पुरस्कृत किया जा रहा है। उसे लंबी छुट्टी पर भेजा जाए, अन्यथा हम आदेश पारित करेंगे।”