कोलकाता : कलकत्ता हाईकोर्ट ने गुरुवार को आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक जूनियर महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से नए जांच की मांग पर जवाब मांगा। यह घटना अगस्त महीने में अस्पताल परिसर के भीतर हुई थी।
न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष की एकल पीठ ने पीड़िता के माता-पिता की याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआई को निर्देश दिया है कि वह अपनी स्थिति अदालत के समक्ष स्पष्ट करे। इस मामले की अगली सुनवाई 24 दिसंबर को होगी, और उससे पहले सीबीआई को अपनी रिपोर्ट और प्रतिक्रिया प्रस्तुत करनी होगी।
पीड़िता के माता-पिता ने दावा किया है कि वे वर्तमान जांच से असंतुष्ट हैं और उन्हें संदेह है कि जांच सही दिशा में नहीं जा रही है। उन्होंने अदालत से आग्रह किया है कि मामले में हस्तक्षेप कर एक नई और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित की जाए।
उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह कोलकाता की एक विशेष अदालत ने सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप में गिरफ्तार दो व्यक्तियों को डिफॉल्ट जमानत पर रिहा कर दिया था क्योंकि सीबीआई 90 दिनों के भीतर उनके खिलाफ अनुपूरक आरोप पत्र दाखिल करने में असफल रही। इस पर पीड़िता के माता-पिता और राज्य के चिकित्सा समुदाय ने सीबीआई की कड़ी आलोचना की है।
सीबीआई की इस असफलता के कारण आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व विवादित प्रिंसिपल संदीप घोष और टाला पुलिस स्टेशन के पूर्व थानेदार अभिजीत मंडल को जमानत मिल गई। हालांकि, घोष अभी भी जेल में हैं क्योंकि उन पर वित्तीय अनियमितताओं के मामले में भी जांच चल रही है, जबकि मंडल पहले ही जमानत पर रिहा हो चुके हैं।
इस बीच, पीड़िता के माता-पिता ने सुप्रीम कोर्ट में अपने मामले की पैरवी के लिए अपना वकील भी बदल लिया है।
पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट, जो इस मामले को लेकर आंदोलन का नेतृत्व कर रहा है, ने भी चेतावनी दी है कि यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो वे अपने आंदोलन को फिर से शुरू करेंगे। पहले उन्होंने जनहित को ध्यान में रखते हुए अपना विरोध स्थगित किया था।