कोलकाता : कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य में लगातार हो रहे दुष्कर्म के संगीन मामलों की जांच राज्य की बहुचर्चित आईपीएस अधिकारी दमयंती सेन को सौंप दी है। मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव के खंडपीठ ने मंगलवार को कहा कि इंग्लिशबाजार, देगंगा, बांसद्रोनी और मटिया दुष्कर्म घटना की जांच आईपीएस दमयंती सेन की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित कर होगी।
उन्होंने जांच अधिकारी को संबोधित करते हुए कहा कि अगर किसी तरह की कोई परेशानी होगी तो अगली सुनवाई में न्यायालय के समक्ष रखा जा सकता है। न्यायमूर्ति श्रीवास्तव ने कहा कि राज्य में एक के बाद एक दुष्कर्म की घटनाएं हो रही हैं। राज्य में कानून-व्यवस्था का कोई बुनियादी ढांचा नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि आईपीएस सेन को दुष्कर्म के इस तरह के मामलों की जांच का अनुभव पहले से है, इसलिए उन्हें यह मामला सौंपा जाता है।
राज्य की ओर से महाधिवक्ता सोमेंद्र नाथ मुखर्जी ने अदालत को बताया कि मटिया दुष्कर्म मामले में चार अप्रैल को न्यायालय में रिपोर्ट दी गई है। बांसद्रोनी दुष्कर्म मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिसमें एक नाबालिग है। उसे चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिस में रखा गया है और जुवेनाइल कोर्ट भी लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हर मामले की जांच कर रही है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई भी कर रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि राज्य में एक के बाद एक ऐसी घटनाएं हो रही हैं। राज्य में ऐसा लगता है जैसे बुनियादी ढांचा नहीं बचा है।
याचिकाकर्ता की ओर से वकील सुष्मिता साहा दत्त ने कहा कि सिर्फ चार मामले ही नहीं बल्कि भांगर, बोलपुर, नामखाना, रायगंज हासखली में भी ऐसी ही दिल दहलाने वाली घटनाएं हो चुकी हैं।
उल्लेखनीय है कि आईपीएस दमयंती सेन पश्चिम बंगाल की बहुचर्चित अधिकारी हैं। वर्ष 2011 में ममता बनर्जी की सरकार बनने के तुरंत बाद वर्ष 2012 में कोलकाता के पार्क स्ट्रीट में एक एंग्लो इंडियन लड़की के साथ दिनदहाड़े दुष्कर्म हुआ था। ममता बनर्जी ने इस घटना को फर्जी बताया था लेकिन दमयंती सेन ने बिना उच्चाधिकारियों की बात माने सख्ती से जांच की थी और मामले में दुष्कर्मी को कड़ी सजा भी हुई। इसके बाद राज्य सरकार ने उन्हें कोलकाता पुलिस से हटाकर राज्य पुलिस में भेज दिया था। 1996 बैच की आईपीएस अधिकारी दमयंती की कोलकाता पुलिस में वापसी सात सालों बाद हुई थी और फिलहाल वह कोलकाता पुलिस की विशेष आयुक्त हैं।