कोलकाता : आगामी लोकसभा चुनाव की घोषणा इस महीने के आखिरी सप्ताह में होने से पहले ही केंद्रीय बल के जवान राज्य में पहुंचने वाले हैं। राष्ट्रीय चुनाव आयोग ने राज्य की समग्र और वर्तमान स्थिति की जांच के बाद ऐसा निर्णय लिया है। गौरतलब है कि राष्ट्रीय चुनाव आयोग ने लोगों के अंदर से डर दूर करने, खुद वोट देने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देने और सभी इलाकों को अभी से शांतिपूर्ण बनाए रखने के लिए ऐसा फैसला लिया है। आयोग के मुताबिक, केंद्रीय बल उन सभी इलाकों में रूट मार्च करेंगे जहां कानून-व्यवस्था की समस्या है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार बुधवार को चुनाव आयोग ने जिलाधिकारियों से प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत संवेदनशील बूथों की संख्या की सूची मांगी है। इतना ही नहीं, चुनाव आयोग ने संवेदनशील बूथों की सूची के साथ-साथ संवेदनशील क्षेत्रों की संख्या भी बताने को कहा है। मुख्य चुनाव अधिकारी ने विभिन्न जिलाधिकारियों को सूची भेजने का आदेश दिया है। वहीं, चुनाव आयोग ने इस पर भी रिपोर्ट मांगी है कि क्या 2019 की तुलना में संवेदनशील बूथों और संवेदनशील क्षेत्रों की संख्या में वृद्धि हुई है।
आयोग सूत्रों के मुताबिक, संवेदनशील बूथों के आधार पर लोकसभा क्षेत्रों में अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती की जायेगी। इसीलिए चुनाव आयोग ने जल्द सूची मांगी है।
गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने पहले भी जिले की कानून-व्यवस्था पर रिपोर्ट मांगी थी। मुख्य चुनाव अधिकारी कार्यालय की ओर से निर्देश दिया गया कि यदि कहीं भी कानून-व्यवस्था खराब हो तो उसकी रिपोर्ट उन्हें तुरंत भेजी जाए। इस संबंध में राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी ने पिछले सप्ताह जिलाधिकारियों के साथ वर्चुअल बैठक की थी। राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी आगामी 24 फरवरी को जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, पुलिस आयुक्तों के साथ बैठक करेंगे। राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी ने पहले ही जिले में उन इलाकों को चिह्नित करने का आदेश दिया है, जहां कानून व्यवस्था बिगड़ रही है। आयोग के मुताबिक जरूरत पड़ने पर राज्य में केंद्रीय बलों की संख्या बढ़ाई जा सकती है।
उल्लेखनीय है कि विपक्ष बार-बार केंद्रीय बलों की तैनाती की वकालत करता रहा है, लेकिन सत्ता पक्ष बार-बार केंद्रीय बलों की भूमिका पर सवाल उठाता रहा है। सत्तारूढ़ तृणमूल ने पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान शीतलकुची में केंद्रीय बलों द्वारा की गई गोलीबारी की सत्यता पर बार-बार सवाल उठाया है। हालांकि, यह देखना है कि आखिरकार राज्य में केंद्रीय बलों की कितनी कंपनियां तैनात की जाती हैं।